अजय विद्यार्थी, कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति लोगों में बढ़ते झुकाव व आकर्षण के मद्देनजर नये स्वयंसेवकों में आरएसएस का संस्कार सिखाने और विभिन्न इलाकों में जनसंपर्क तेज करने की रणनीति बनायी गयी.
इसके मद्देनजर बंगाल में आरएसएस की शाखाओं की संख्या में इजाफा करने का निर्णय किया गया है. शनिवार और रविवार को आरएसएस दक्षिण बंगाल के संभाग के पदाधिकारियों की राज्य के चार जगहों रामपुरहाट, कांचरापाड़ा, मेदिनीपुर और कोलकाता में बैठक हुई.
कोलकाता स्थित आरएसएस मुख्यालय केशव भवन में हुई बैठक में दक्षिण बंगाल के प्रांत प्रचारक जलधर महतो, सह प्रांत प्रचारक प्रशांत भट्ट, प्रांत संघचालक अतुल कुमार विश्वास सहित विभिन्न संभाग के पदाधिकारी उपस्थित थे.
दो दिवसीय यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत इस माह में दूसरी बार 19 सितंबर को फिर कोलकाता आ रहे हैं और कोलकाता में उत्तर बंगाल, दक्षिण बंगाल, सिक्किम, ओडिशा सहित पांच प्रांतों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में इन प्रांतों में आरएसएस के कामकाज की समीक्षा होगी तथा विस्तार की रणनीति बनेगी.
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि बैठक में ब्लॉक और नगर स्तर के कार्यकर्ता उपस्थित थे. बैठक में शाखाओं की संख्या के विस्तार, स्वयंसेवकों की समक्ष चुनौतियां और अवसर को लेकर चर्चा हुई.
उन्होंने कहा कि देश के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी आरएसएस के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है. पूर्व की तुलना में लोग अब अधिक संख्या में न केवल संगठन से जुड़ रहे हैं, वरन अपने विचार भी खुलेआम प्रकट कर रहे हैं.
धार्मिक कार्यक्रमों में भी स्वेच्छा से जुड़ रहे हैं और उनका आयोजन कर रहे हैं, लेकिन इससे आरएसएस के प्रचार-प्रसार की संभावनाएं बढ़ी हैं, लेकिन इसके साथ ही चुनौतियां भी बढ़ी हैं. स्वयंसेवकों पर हमले हुए हैं. उनके साथ मारपीट की घटनाएं बढ़ी हैं तथा कई कार्यकर्ताओं की हत्या तक कर दी गयी है. इन परिस्थितियों में भी अपने विचारों का प्रचार-प्रसार करना होगा, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि जनसंपर्क अभियान तेज किया जाये.
वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आम लोगों तक पहुंचने के लिए चाय पर चर्चा, विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन, संगोष्ठी और परिचर्चा का आयोजन आदि पर जोर देने का निर्णय लिया गया है.
इसके साथ ही इलाके-इलाके का सामाजिक सर्वेक्षण करवाया जा रहा है, ताकि इलाके की आबादी में किस वर्ग, भाषा, जाति और धर्म के लोगों का अनुपात क्या है या उनकी शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है. इन परिस्थितियों पर विचार कर उन लोगों में संख्या की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है.
शाखाओं में न केवल शारीरिक वरन मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम किये जा रहे हैं. शाखाओं से जुड़ने वाले नये लोगों में हिंदू संस्कार, देश भक्ति, समाज सेवा के संस्कार की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे आरएसएस के विचारों के अनुकूल न सिर्फ खुद को गढ़ सकें, वरन समाज कल्याण, समाज विकास और देश हित के आरएसएस के विचारों का वाहक भी बन समाज परिवर्तन और व्यक्ति परिवर्तन की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें.
