सियालदह स्टेशन से बरामद हुआ था पत्नी का शव
कोलकाता : अपराधी कितना भी शातिर हो, लेकिन कोई ना कोई ऐसी एक गलती करता है, जो उसे सलाखों के पीछे ले जाती है. प्रेमिका के साथ मिल कर पत्नी की हत्या और उसके बाद सबूतों को मिटाने के लिए ऐसा घिनौना कांड, जिसे देख कर पूरा महानगर हिल गया. सबूतों को मिटाने के लिए पत्नी के शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर सियालदह स्टेशन के पास एक ट्रॉली बैग में छोड़ दिया. 20 मई 2014 को जब सियालदह स्टेशन के पास ट्रॉली बैग मिला तो इसे देख कर सभी के रोंगटे खड़े हो गये.
पांच साल तक चले इस मामले में अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया और इस हत्याकांड में शामिल पति, उसकी प्रेमिका व शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटनेवाले कसाई को फांसी की सजा सुनायी. सोमवार को सियालदह के अतिरिक्त जिला जज जीमूत वाहन विश्वास ने इस हत्याकांड को विरलतम घटना करार देते हुए कहा कि ऐसी हत्या करनेवाले हत्यारों के साथ रहम नहीं किया जा सकता.
क्या है घटना
24 मई 2014 को सियालदह स्टेशन के वीआइपी पार्किंग के सामने वहां तैनात रेलवे पुलिस के जवानों ने एक लावारिस ट्रॉली बैग देखा. इसके बाद इसकी जानकारी थाने को दी गयी. जब पुलिस इस बैग को पुलिस ने खोला तो उसके अंदर रखे सामान को देख उनके रोंगटे खड़े हो गये. बैग में एक शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर रखा गया था. पुलिस के पास जांच के लिए सिर्फ एक ही सबूत था तो वह ट्रॉली बैग. हत्यारों ने भी ट्रॉली बैग में ही हत्या के सबूत का लिंक छोड़ दिया था.
बैग में पुलिस को एक स्लिप मिला. स्लिप से पुलिस को पता चला कि शव जयंती देव नामक महिला की है, जो लेकटाउन की रहनेवाली थी. उसके पति का नाम सुरजीत देव है, जो एक निजी कंपनी में कार्य करता था. पिछले चार वर्षों से सुरजीत व जयंती के बीच में विवाद चल रहा था, जिसकी वजह से वह दोनों अलग-अलग रहते थे.
इसके बाद इस मामले में एक और महिला लिपिका पोद्दार का नाम सामने आया. पुलिस को जांच में पता चला कि जयंती के फ्लैट पर कब्जा करने के लिए पति ने प्रेमिका लिपिका के साथ मिल कर उसकी हत्या करने की साजिश रची. वह लिपिका को गिफ्ट में यह फ्लैट देना चाहता था. 19 मई को सुरजीत ने जयंती को बिराटी में अपने घर पर बुलाया और उसे ड्रिंक में नींद की गोली देकर पहले बेहोश किया.
फिर सिर पर किसी भारी चीज से हमला किया. बेहोश होने के बाद तकिये से उसका मुंह दबा कर हत्या की. हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए संजय दास नाम के कसाई को भाड़े पर लिया और उसे जयंती के शव को छोटे-छोटे टुकड़े में काट कर फेंकने का काम सौंपा. संजय ने जयंती के शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर ट्रॉली में भर कर सियालदह स्टेशन के पास छोड़ दिया.