कोलकाता : ममता बनर्जी की सरकार 2021 तक बनी रहेगी…यह निश्चित नहीं है. यह कहना भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का है. उन्होंने मंगलवार को इशारों में कहा कि पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार अपना कार्यकाल शायद ही पूरा कर पाए. विजयवर्गीय ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अगले विधानसभा चुनावों से पहले खुद को एक ‘‘वैकल्पिक ताकत’ के तौर पर तैयार करने का अनुरोध किया.
लोकसभा चुनावों के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों और प्रदेश कार्यालय पदाधिकारियों के साथ पहली बैठक को संबोधित करते हुए राज्य के भाजपा प्रभारी विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘‘अहंकारी प्रशासक’ करार देते हुए उन्हें आड़े हाथ लिया। विजयवर्गीय ने यहां बैठक के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि तृणमूल कांग्रेस सरकार 2021 तक बंगाल में बनी रहेगी या नहीं.’
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह चाहते हैं लेकिन हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि वह ऐसा कर पाएगी क्योंकि जनता और पार्टी नेता सरकार के कामकाज से नाराज हैं.’ बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर भाजपा को जीत मिली है. तृणमूल कांग्रेस ने 2014 में 34 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार उसकी सीटें घटकर 22 रह गई हैं.
विजयवर्गीय ने दावा किया कि लगातार दो बार सत्ता में आने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल के लोगों की सेवा का सुनहरा मौका गंवा दिया. उन्होंने कहा कि अहंकार के कारण बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के बुरे दिन आए हैं. यदि ममता बनर्जी की पार्टी विनम्र होती तो उसे ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता.
विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘वे सत्ता सुख भोगने में इतने व्यस्त हो गये कि वे लोगों की सेवा करना ही भूल गये. उन्होंने आतंक का राज कायम कर दिया और लोग उनके खिलाफ वोट करने लगे. अब हमें राज्य में अगले विधानसभा चुनावों की तैयारी करनी चाहिए.’
‘जय श्री राम’ के नारों पर ममता बनर्जी के भड़कने की आलोचना करते हुए विजयवर्गीय ने हैरत जताई और सवाल किया कि क्या बंगाल में यह नारा लगाना अपराध है. उन्होंने कहा, ‘‘क्या बंगाल में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना अपराध है? यह अपराध क्यों है, हम चाहेंगे कि ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता इसे स्पष्ट करें.’ ममता बनर्जी के ‘जय हिंद’ और ‘जय बांग्ला’ नारों का जिक्र करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि उनकी पार्टी को इससे कोई समस्या नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इन नारों से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का अभिन्न हिस्सा रहे हैं.’