कोलकाता : 26 हफ्ते की गर्भवती महिला के गर्भपात को लेकर सोमवार को भी जटिलता दूर नहीं हुई. मंगलवार को मामले की फिर से सुनवायी होगी. राज्य सरकार को बताना होगा कि भ्रूण में प्राण कितने हफ्ते में आता है. साथ ही यह भी बताना होगा कि याचिकाकर्ता के वकील के वक्तव्य के संबंध में उसका क्या रुख है.
सोमवार को मामले की सुनवायी में कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की अदालत में राज्य की ओर से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल अभ्रतोष मजूमदार ने कहा कि कानून के तहत एसएसकेएम का मेडिकल बोर्ड गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकता, यह संवेदनशील विषय है. गर्भ में संतान जीवित है.
उसके जीवित स्थिति में ही जन्म लेने की संभावना प्रबल है. इस पर याचिका दायर करनेवाले बेलियाघाटा दंपती के वकील कल्लोल बसु ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने अदालत में जो रिपोर्ट पेश की है, वह संपूर्ण नहीं है. उसमें मां की स्थिति का उल्लेख नहीं किया गया है. इस पर रिपोर्ट में विचार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि कानून के तहत विशेष स्थिति में गर्भपात का प्रावधान है. इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को भी अदालत में पेश किया.