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मालदा : पुल नहीं बनने पर छह गांवों ने किया ‘स्कूल बहिष्कार’
मालदा : मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर थानांतर्गत सादलीचक ग्राम पंचायत के छह गांवों के आवागमन के लिये एकमात्र सहारा है बांस से बना चचरी पुल. उसकी जगह पक्का सेतु बनवाने के लिये जिला परिषद ने 60 लाख रुपए आवंटित कर दिये हैं. ग्राम पंचायत की ओर से कहा गया था कि हालिया पंचायत चुनाव के […]
मालदा : मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर थानांतर्गत सादलीचक ग्राम पंचायत के छह गांवों के आवागमन के लिये एकमात्र सहारा है बांस से बना चचरी पुल. उसकी जगह पक्का सेतु बनवाने के लिये जिला परिषद ने 60 लाख रुपए आवंटित कर दिये हैं. ग्राम पंचायत की ओर से कहा गया था कि हालिया पंचायत चुनाव के बाद पक्का सेतु निर्माण शुरु हो जायेगा. लेकिन आज तक वह काम शुरु नहीं हो सका. इससे क्षुब्ध होकर सभी छह गांवों के अभिभावकों ने अपने बेटे-बेटियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है.
स्कूल का सामूहिक वहिष्कार किया गया है ताकि सादलीचक ग्राम पंचायत के प्रधान की आंख खुले और पक्का सेतु का काम शुरु हो सके. उल्लेखनीय है कि इन गांवों के लोग स्थानीय जालान नदी पर पक्का सेतु की मांग अरसे से करते आ रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि चांदनीचक ग्राम पंचायत इलाके में भागीरथी नदी की एक शाखा नदी है जालान. इस छोटी सी नदी पर बांस का चचरी पुल है. लंबे समय तक इसकी मरम्मत नहीं कराये जाने से यह अस्थायी पुल भी जर्जर हालत में है. इस वजह से अक्सर इसपर से गुजरने वाले यात्री और छोटे छोटे बच्चे जख्मी हो रहे हैं. पक्का सेतु के अभाव में इन गांवों में एम्बुलेंस से लेकर दमकल या पुलिस का वाहन नहीं प्रवेश कर पाता है.
ग्रामीणों का आरोप है कि हर साल चुनाव के समय विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता पक्के पुल का वायदा कर जाते हैं. लेकिन चुनाव बीत जाने पर वे अपना वायदा भूल जाते हैं. इसीलिये उन्होंने इस बार अपना कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिये बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है.गौरतलब है कि सादलीचक ग्राम पंचायत के मातहत सुर्यापुरा, तिमिरपुरा, बासुदेवपुर, खाड़ा तिमिरपुरा, शिखाटोला, इमामनगर गांवों में रहने वाले 10 हजार से अधिक लोग इसी बांस की चचरी पुल से आवागमन करते हैं.
इन गांवों में ही सुर्यापुरा एसएसके, तिमिरपुरा प्राथमिक विद्यालय, जिला आर उच्च विद्यालय हैं. यहां के स्कूली बच्चों के इसी चचरी पुल से होकर स्कूल जाना पड़ता है जोकि बेहद जोखिमभरा है.
तिमिरपुरा प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक नुरुल हसन ने बताया कि स्कूल खुला है. लेकिन छात्र-छात्राएं नहीं आ रहे हैं. पक्का सेतु की मांग को लेकर ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. उन्होंने स्कूल का बहिष्कार किया है. हम लोग भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द पक्का सेतु बने.
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