कोलकाता : दिलचंद पूर्वी भारत के पहले ऐसे मरीज हैं, जिनका छह महीने पहले महानगर के फोर्टिस अस्पताल के डाक्टरों ने सफल हार्ट ट्रांसप्लांट किया था. अब दिलचंद सामान्य लोगों की तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. अस्पताल की ओर से समय-समय पर नि:शुल्क हेल्थ चेकअप किया जाता है. दिलचंद का डॉक्टरों ने चेकअप किया, इसके बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि दिलचंद सिंह एक मिसाल हैं और वे उन सभी मरीजों के लिए शक्ति और विश्वास के प्रतीक हैं, जिनका अंग प्रत्यारोपण किया जाता है.
अस्पताल के क्षेत्रीय निदेशक समीर सिंह ने कहा कि हमें खुशी है कि समीरन दत्ता का भी लगभग 12 दिन पहले सफल हृदय प्रत्यारोपण किया गया है, वह भी स्वस्थ्य हैं. उधर, शुक्रवार को चेकअप के बाद दिलचंद ने समरीन से मुलाकात कर उसका हौसला बढ़ाया. बता दें कि षष्ठी के दिन सीमरन को अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है.
राज्य सरकार ट्रांसप्लांट के लिए मरीज की करें आर्थिक मदद
संवाददाता सम्मेलन में अस्पताल के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ तापस राय चौधरी ने कहा कि तमिलनाडु व चेन्नई में ट्रांसप्लांट के लिए सरकार मरीज को आर्थिक मदद देती है. वहीं हृदय प्रत्यारोपण के लिए करीब 32 लाख मरीज को मुहैया करायी जाती है. 25 लाख सर्जरी पर तथा 7 लाख रुपये प्रत्यारोपण, दवा व जांच के लिए मिलता है.
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से भी अनुरोध किया कि राज्य सरकार प्रत्यारोपण के लिए मरीजों की मदद करें. राज्य सरकार के स्वास्थ्य बीमा की राशि बढ़ाकर 20 लाख किया जाए ताकि मरीजों को सहूलियत हो. फोर्टिस में हृदय प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों की मदद के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से मदद की जा रही है. भविष्य में भी इसे जारी रखने के लिए पूजा के बाद हम कुछ बड़े व्यवसायियों से अनुरोध करेंगे, ताकि वह इस तरह के कार्य में हमारी मदद करें.
आगे आयें निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेज
अस्पताल के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ केएम मनदाना ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों को भी आगे आना चाहिए. सरकारी कॉलेजों के आगे आने से मरीज नि:शुल्क प्रत्यारोपण करा पायेंगे. बता दें कि केवल कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को हृदय ट्रांसप्लांट के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस मिला है.
जल्द ही यह लाइसेंस एसएसकेएम को भी मिल जायेगा. इसे ध्यान में रखते हुए डॉ मनदाना ने कहा कि फोर्टिस में अब तक दो मरीजों का हृदय ट्रांसप्लांट किया गया है. इसके लिए हमने अपने चेन्नई के कार्डियो थोरेसिक ट्रांसप्लाटं सर्जन की मदद ली थी. ऐसे में अगर मेडिकल कॉलेज, एसएसकेएम का किसी अन्य सरकारी अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया जाता है तो हम वहां के चिकित्सकों को मदद या प्रशिक्षण देने के लिए तैयार है