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उच्च शिक्षा के बाद भी बेरोजगारी के समाधान पर मंथन
कोलकाता : प्रत्येक वर्ष भारत, उच्च शिक्षा के नये केंद्रों पर मंथन कर रहा है. फिर भी यह चिंता का विषय है कि ये शिक्षण संस्थान बेरोजगार स्नातकों को भी जन्म दे रहे हैं. व्यवसायिक प्रतिष्ठान व कॉर्पोरेट क्षेत्र अपने लिए लगातार योग्य, कुशल और जानकार युवकों की तलाश कर रहे हैं. अधिकतर स्नातकों को […]
कोलकाता : प्रत्येक वर्ष भारत, उच्च शिक्षा के नये केंद्रों पर मंथन कर रहा है. फिर भी यह चिंता का विषय है कि ये शिक्षण संस्थान बेरोजगार स्नातकों को भी जन्म दे रहे हैं. व्यवसायिक प्रतिष्ठान व कॉर्पोरेट क्षेत्र अपने लिए लगातार योग्य, कुशल और जानकार युवकों की तलाश कर रहे हैं. अधिकतर स्नातकों को विभिन्न क्षेत्रों में कैरियर तलाशने में कठिन दौर से गुजरना पड़ता है. भारत में बढ़ती युवा आबादी के साथ बेरोजगारी की स्थिति भी एक गंभीर समस्या बन गयी है.
इसी के समाधान को ध्यान में रख कर सीइजीआर (सेंटर फॉर एजुकेशन ग्रोथ एंड रिसर्च) की ओर से उच्च शिक्षा फैकल्टी करियर ओरिएंटेशन एंड एडवांसमेंट पर एक साप्ताहिक फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम आयोजित किया गया. नरूला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आयोजित इस कार्यक्रम में मौजूद मौलाना अबुल कलाम आजाद विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी के वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ सैकत मित्रा ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से ऑनलाइन कौशल वृद्धि के क्षेत्र में तत्काल योग्य फैकल्टी की आवश्यकता है. उनके चुने हुए विषयों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आइओटी, ब्लॉक चेन और बड़े डेटा शुरू किये जाने चाहिए. शोध में उद्देश्यपूर्ण शोध की भावना को अपनाया जाना चाहिए.
कार्यक्रम में जेआइएस के प्रबंध निदेशक तरणजीत सिंह ने कहा कि उद्योग और शिक्षा को और भी सूक्ष्मता से जुड़ने व एक इको प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे छात्रों को नाैकरी योग्य बनाया जा सके. छात्र कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे, युवाओं को मार्गदर्शन कैसे मिलेगा, शिक्षा में इस पद्धति पर व्यावहारिक रूप से जोर देने की आवश्यकता है. कार्यक्रम में सीइजीआर के मेंटर व एआइसीटीई के निदेशक डॉ मनप्रीत सिंह मन्ना ने कहा कि छात्रों के मनोविज्ञान को समझना चाहिए. काैशल व योग्यता के आधार पर ऑनलाइन प्रशिक्षण हमेशा इंटरेक्टिव होना चाहिए, जिससे छात्रों को नये अवसरों की जानकारी मिल सके.
उल्लेखनीय है कि सीइजीआर की एक विशेषज्ञों की समिति है, जिसमें प्रमुख विश्वविद्यालयों और संस्थानों के कुलपति, कुलगुरु, अध्यक्ष और निदेशक शामिल हैं. वे खुद ही इसके पाठ्यक्रम तैयार करते हैं. इसके जरिये फैकल्टी सदस्यों को व्यक्तिगत विकास, उद्यमिता विकास, रचनात्मकता, समस्या निवारण व नॉलेज इंडस्ट्री के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाता है. इससे छात्रों को सही तरीके से अध्ययन करने व उद्यमी कौशल विकसित करने में सहायता मिलती है.
नरुला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ मैत्रेयी रॉय कांजिलाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में प्रो. डॉ एपी मित्तल (एआइसीटीई के सदस्य सचिव और सीइजीआर के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य), संजीव गोस्वामी (प्रबंध निदेशक, स्प्रिंगर नेचर) प्रोफेसर रंजन दास (प्रो. आइआइएम कोलकाता), बेनी किन्हा (संस्थापक, न्यूक्टर फैक्टर और प्रसिद्ध ट्रेनर), डॉ अनुराधा जैन (डीन, विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज) सहित कई शिक्षाविद् उपस्थित रहे.
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