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बाहर से पश्चिम बंगाल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए अलग नीति बनायेगी सरकार

कोलकाता : हो सकता है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने बाहर से पहुंचने वाले मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा न मिले. उन्हें शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधा है. लोगों […]

कोलकाता : हो सकता है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने बाहर से पहुंचने वाले मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा न मिले. उन्हें शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधा है. लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मिलती है.

बंगाल के लोगों को सेवाएं देना हमारा दायित्व है, क्योंकि जनमानस ने ही हमें चुनकर भेजा है. लेकिन यहां दूसरे 4-5 राज्यों के मरीज भी आते हैं. एक-दो दूसरे देशों के भी मरीज आते हैं. हमारे डॉक्टर उनको इलाज के लिए मना तो नहीं कर सकते हैं लेकिन अब ऐसे मरीजों के लिए एक नीति तय करनी होगी. उनके लिए एक नियम बनाना होगा, ताकि निःशुल्क चिकित्सा सेवा का कोई दुरुपयोग न कर सके. मुख्यमंत्री वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य बजट सात साल में 571 करोड़ से बढ़ाकर 8771 करोड़ रुपये कर दिया गया है. सुंदरबन क्षेत्र में भी चिकित्सा सुविधा देने की कोशिश की जा रही है. सीएम ने कहा कि राज्य में 9,000 डॉक्टर व 14,000 नर्स हैं. मेडिकल में 1445 सीटें बढ़ायी गयी हैं. आम लोगों को अच्छी सेवाएं देने में सीनियर डॉक्टरों के अलावा हमारे जूनियर डाक्टरों का भी बहुत बड़ा योगदान है. हमारे डॉक्टर प्रतिदिन 2 लाख मरीजों को देखते हैं. इसमें कोई दोराय नहीं कि बंगाल के छात्र-छात्राओं के पास जो मेधा है, उसका कोई मुकाबला नहीं है.
राज्य में अभी 42 मल्टी-सुपरस्पेशियलटी हॉस्पिटल बनाये गये हैं. लगभग 16 मदर एंड चाइल्ड हब बनाये गये हैं. 85 डायग्नोसिस सेंटर व नये आइसीसीयू सेंटर बनाये गये हैं. एसएसकेएम में शिशु साथी से लेकर बच्चों के हार्ट ऑपरेशन की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है. एनआरएस, बांगुड़ हॉस्पिटल के अलावा जिला स्तर पर भी सेवाएं बढ़ा दी गयी हैं. इस क्षेत्र में अनुसंधान पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. हमारे बंगाल में बिना पैसे के जो चिकित्सा लोगों को मिलती है, वह कहीं नहीं है. स्वास्थ्य सेवाएं देने में बंगाल सर्वश्रेष्ठ है.
99 प्रतिशत लोग हेल्थ क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन एक प्रतिशत भ्रष्ट लोगों की हरकत के कारण सरकार को कलंकित होना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर दुःख व्यक्त किया कि नीट की परीक्षा में पेपर में भूल होने के कारण बंगाल के कुछ छात्र ठीक से परीक्षा नहीं दे पाये. इस परीक्षा का प्रतिवाद किया गया था, फिर से इसका प्रतिवाद करने की जरूरत है.
दीक्षांत समारोह में यूनिवर्सिटी के चांसलर व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी से पढ़कर भविष्य में कई डॉक्टर तैयार होंगे. यहां नर्सिंग, फिजियोथेरेपी से लेकर स्वास्थ्य से जुड़े अलग-अलग विषयों के 117 कोर्स की सुविधा उपलब्ध हैं. इस यूनिवर्सिटी ने उच्च शिक्षा का मानदंड बनाये रखा है, इस बात का गर्व है. वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के छठे दीक्षांत समारोह में छात्रों व डाक्टरों को डिग्री, गोल्ड मेडल व मेरिट अवॉडर्स दिये गये. वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के वाइस चांसलर डॉ राजेंद्र पांडेय ने स्वागत भाषण दिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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