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कोलकाता : आरएसएस की रणनीति से मात खायीं पार्टियां, जानें कैसे

II अजय विद्यार्थी II आरएसएस ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से रामनवमी को बनाया बंगाल का बड़ा त्योहार कोलकाता : बंगाल में अपनी पकड़ बनाने का बेताब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की रणनीति से पश्चिम बंगाल की राजनीतिक पार्टियां मात खा गयी हैं. लगभग दो वर्ष पहले पश्चिम बंगाल में रामनवमी छिटपुट और सादगी से […]

II अजय विद्यार्थी II
आरएसएस ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से रामनवमी को बनाया बंगाल का बड़ा त्योहार
कोलकाता : बंगाल में अपनी पकड़ बनाने का बेताब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की रणनीति से पश्चिम बंगाल की राजनीतिक पार्टियां मात खा गयी हैं.
लगभग दो वर्ष पहले पश्चिम बंगाल में रामनवमी छिटपुट और सादगी से मनाया जानावाला उत्सव हुआ करता था. लेकिन अारएसएस ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से रामनवमी उत्सव को बृहतम रूप देना शुरू किया और पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल में आरएसएस समर्थित विभिन्न संगठनों की मदद से बंगाल के विभिन्न इलाकों में न केवल धूमधाम से रामनवमी मनाया गया, बल्कि रामनवमी को शौर्य-शक्ति प्रदर्शन और असुर शक्ति को परास्त कर रामराज स्थापित करने के प्रयास रूप में पेश किया गया है. विभिन्न इलाकों में रामनवमी उत्सव में आमलोगों की सक्रियता ने सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस को भी अपनी रणनीति बदलने पर विवश कर दिया.
पिछले वर्ष तृणमूल ने रामनवमी की सफलता के बाद हनुमान जयंती मना कर इस कमी को पूरा करने की कोशिश की थी. लेकिन इस वर्ष तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल के विभिन्न जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं को रामनवमी उत्सव मनाने का निर्देश दिया था और बंगाल के विभिन्न जिलों में न केवल आरएसएस समर्थित संगठनों व भाजपा ने रामनवमी का जुलूस निकाला और शक्ति प्रदर्शन किया, बल्कि तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने भी उसी जोश से रामनवमी मनाया. हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं के कुछ जुलूस में गदा और तलवार दिखे, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के जुलूस में ऐसा कुछ नहीं नजर आया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवह डॉ जिष्णु बसु ने कहा कि आरएसएस का मुख्य उद्देश्य राज्य के हिंदू समाज का जागृत करना था और उसे ऐसा करने में सफलता भी मिली है. दो वर्ष पहले तक राम और रामनवमी उत्सव को लेकर राज्य की अन्य राजनीतिक पार्टियों की कोई रुचि नहीं ‍थी, लेकिन इस वर्ष तृणमूल कांग्रेस ने भी रामनवमी उत्सव मनाया है. राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और उनके प्रति सभी पार्टियों का स्नेह और जुलूस निकलाना शुभ संकेत है.
बड़ी संख्या में लोगों ने जुलूस में की भागीदारी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवह डॉ जिष्णु बसु बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल में इतने हर्ष और उत्साह से कभी भी रामनवमी का पालन नहीं किया गया है. उलबेड़िया, खड़गपुर व हेस्टिंग्स से लेकर लगभग 15-20 इलाकों में रामनवमी के जुलूस में 20 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं. सबसे सुखद है कि इन जुलूसों में मातृ शक्ति की भागीदारी काफी रही है.
अब रोहिंग्या पर फोकस
रामनवमी उत्सव के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के बाद अब आरएसएस रोहिंग्या के मुद्दे पर आमलोगों को जागरूक करेगा. पश्चिम बंगाल में जिस तरह से रोहिंग्या का प्रवेश करवाया जा रहा है. वह देश हित में नहीं है. राज्य में कालियाचक और खगड़ागढ़ जैसी घटनाएं नहीं हो. इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जायेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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