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West Bengal : डीए अनिवार्य नहीं, मिल रहीं अतिरिक्त छुट्टियां, सरकारी कर्मचारियों को सीएम का कड़ा संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा केंद्र के कर्मचारी उसकी संरचना के अनुसार काम करते हैं. उन्हें उनके काम के हिसाब से डीए और सैलरी मिलती है. सीएम ने कहा सरकारी कर्मचारियों को याद है न कि उन्हें केंद्र के कर्मचारियों की तुलना में अधिक छूट्टी मिलती है.

पश्चिम बंगाल राज्य के सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) के संबंध में फिर मुख्यमंत्री की ओर से कड़ा संदेश दिया गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन बढ़ाये जाने के संबंध में कहा कि डीए का भुगतान करना अनिवार्य नहीं है. इसका भुगतान करना सरकार की इच्छा पर निर्भर करता है. विधानसभा से सीएम ने सरकारी कर्मचारियों को याद दिलाते हुए कहा कि कर्मचारियों को अतिरिक्त वार्षिक छुट्टी मिलती है. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि सरकारी कर्मचारियों को सरकारी खर्च पर विदेश जाने का मौका दिया जाता है. दो वर्ष में एक बार सरकारी कर्मचारी पड़ोसी देश जैसे नेपाल, भूटान या बांग्लादेश जा सकते हैं. वहीं, पांच वर्ष में एक बार वे विश्व के किसी देश में घूमने जा सकते हैं.


डीए के भुगतान के लिए दो लाख 52 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीए के भुगतान के लिए पिछले दो साल में दो लाख 52 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं. नये वेतन आयोग की सिफारिश पर सरकार ने डीए का भुगतान किया है. उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को यह भी याद दिलाया कि महंगाई भत्ता अनिवार्य नहीं है. यह वैकल्पिक है. गौरतलब है कि, राज्य सरकार के कर्मचारियों ने बार-बार शिकायत की है कि केंद्र सरकार 40 प्रतिशत की दर से डीए का भुगतान कर रही है, जबकि, राज्य सरकार के कर्मचारियों को इससे काफी कम दर पर डीए मिलता है. यहां तक कि लंबे समय से डीए बकाया है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा केंद्र के कर्मचारी उसकी संरचना के अनुसार काम करते हैं. उन्हें उनके काम के हिसाब से डीए और सैलरी मिलती है. सीएम ने कहा सरकारी कर्मचारियों को याद है न कि उन्हें केंद्र के कर्मचारियों की तुलना में अधिक छूट्टी मिलती है.

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केवल बंगाल के कर्मचारियों को मिलती है पेंशन

मुख्यमंत्री ने कहा पश्चिम बंगाल ही एकमात्र राज्य है, जो अपने कर्मचारियों को पेंशन देता है. कई लोगों ने इसे बंद करने का सुझाव दिया है. इससे सरकार पर लदे ऋण के ब्याज के पैसों की रकम कम हो जायेगी. सेवानिवृत होने के बाद भी लोग 20-30 साल और जीते हैं. पेंशन नहीं मिलने पर वे परिवार कैसे चलायेंगे? गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है. मुख्यमंत्री इससे पहले भी डीए पर खुल कर अपनी बात रख चुकी हैं.

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