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14 वर्ष पहले बेची गयी थी 15.28 एकड़ जमीन, अब सामने आया दावेदार

भू-माफिया की जालसाजी से आम जनता के लिए जमीन खरीदना खतरे से खाली नहीं रह गया है. भू-माफिया किसी की जमीन किसी को भी बेच दे रहे हैं, खरीदनेवाले की जमीन और पैसा दोनों जाने का जोखिम बना रहता है.

आसनसोल/रूपनारायणपुर.

भू-माफिया की जालसाजी से आम जनता के लिए जमीन खरीदना खतरे से खाली नहीं रह गया है. भू-माफिया किसी की जमीन किसी को भी बेच दे रहे हैं, खरीदनेवाले की जमीन और पैसा दोनों जाने का जोखिम बना रहता है. जमीन खरीदने के वर्षो बाद पता चलता है कि जमीन का असल मालिक कोई और है. उसके बाद कोर्ट-कचहरी शुरू हो जाती है. ऐसा ही एक मामला सालानपुर में सामने आया है. जमीन बिक्री होने के 14 साल बाद उसके असल हकदार ने आकर उस पर अपना दावा ठोक दिया और शिकायत कर दी, जिस पर जमीन खरीदनेवाले आठ लोगों के खिलाफ सालानपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. यह 15.28 एकड़ जमीन से जुड़ा मामला है. हालांकि सालानपुर थाना में जमीन फर्जीवाड़ा का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अनेकों मामले दर्ज हुए हैं. बीएलएंडएलआरओ ने भी इसप्रकार के मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

क्या है 15.28 एकड़ जमीन का मामला

सालानपुर प्रखंड के आमझरिया मौजा में जेएल नम्बर-34, खतियान नम्बर-303, आरएस एंड एलआर प्लॉट नम्बर-239 में 15.28 एकड़ (करीब 46 बीघा) जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ है. रजिस्ट्री डीड के अनुसार देवघर (झारखंड) मधुपुर इलाके के निवासी हरिबल्लभ भादुड़ी ने यह जमीन 24 मई 2011 को आसनसोल 11, डॉ. एमएन साहा रोड इलाके के निवासी नदीम इकबाल और 70, डॉ. एमएन साहा रोड इलाके के निवासी अमीर सिद्दकी को 13.80 लाख रुपये में बेची. पुनः यह जमीन दो अलग-अलग डीड में आधी-आधी जमीन तीन-तीन करके छह लोगों को रजिस्ट्री की गयी. 7.46 एकड़ जमीन सालानपुर क्षेत्र के निवासी उज्ज्वल कुमार सेन, तपन सेन और शेख इस्तेहार को तथा 7.46 एकड़ जमीन सालानपुर थाना क्षेत्र के ही निवासी विकास दत्ता, सिंटू मंडल अजर दिनेश मंडल को हरिबल्लभ भादुड़ी ने ही बेच. बाद में यह जमीन खरीदनेवाले छह लोगों को जब पता चला कि यह जमीन पहले ही बेची जा चुकी है, तब वे लोग जमीन का मालिकाना हक जताने से पीछे हट गये. क्योंकि उनकी रजिस्ट्री बाद में हुई थी. यहां तक सबकुछ ठीक है. 14 साल बाद अब पता चला कि जो दो व्यक्ति पहले जमीन की रजिस्ट्री करवायी थी, उनलोगों को भी गलत आदमी ने जमीन बेच दिया. 14 साल बाद जमीन का असली दावेदार आया और जमीन पर अपना हक जताते हुए, जमीन खरीदनेवाले उक्त आठ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी व बेईमानी से संपत्ति प्राप्त करने का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करायी. बाद में जमीन ख़रीदनेवालों ने बताया कि वे खुद फर्जीवाड़ा का शिकार हुए है. उनलोगों के नाम पर जमीन नहीं है और न कभी मालिकाना हक जताने का प्रयास किया.

बाहरी लोगों की जमीन पर भू-माफियाओं की गिद्धदृष्टि

एक प्रोमोटर ने बताया कि किसी भी इलाके में अनेकों जमीन ऐसा होता है, जिसके मालिक इलाके में नहीं रहते हैं और सालों आते भी नहीं हैं. ऐसे जमीनों को भू-माफिया अपने निशाने पर लेते हैं और किसी व्यक्ति को उस जमीन का फर्जी मालिक बनाकर सारा कागजता तैयार करते हैं. दलाल जमीन बेचने का पार्टी ढूढता है. जमीन का मालिक सिर्फ एकबार रजिस्ट्री करने के लिए आता है. सारा कागजी प्रक्रिया एकदम सही होता है. किसी को भनक तक नहीं लगती है, जबतक असली दावेदार आकर जमीन पर अपना हक न जताए. पूरे जिले में यह चल रहा है. सरकारी जमीन तक बेच दिया गया है. जिसमें एक बीएलएंडएलआरओ की नौकरी भी गयी है.

हरिवल्लभ की पुत्रवधू गार्गी भादुड़ी ने हरीश और अनंत को दे दी पावर ऑफ अटॉर्नी

सालानपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करनेवाले आसनसोल डॉ. एमएन साहा रोड इलाके के निवासी हरीश शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि उक्त जमीन की वैध हकदार हरिबल्लभ भादुड़ी की पुत्रबधू गार्गी भादुड़ी ने यह जमीन उनके और उनके सहयोगी अनंत आर्य के नाम पर पावर ऑफ अटॉनी की है. हरिबल्लभ भादुड़ी और उनके पुत्र का निधन हो चुका है. ऐसे में वह पुत्रबधू के रूप में गार्गी भादुड़ी इस जमीन की कानूनी उत्तराधिकारी हैं. हरिबल्लभ की मौत 12 अक्तूबर 1984 को हो गया था, तो वर्ष 2011 में उसने यह जमीन रजिस्ट्री कैसे की? यह सवाल के जवाब पुलिस ढूढ़ रही है.

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