तिराट क्षेत्र के ग्रामीणों ने बालू लदे वाहनों को रोक कर जताया प्रतिवाद लगाया आरोप, इसीएल के नाम पर किया जा रहा बालू का अवैध खनन
अत्यधिक बालू से लदे वाहनों की आवाजाही से सड़क व पुलों का बुरा हालरानीगंज. रानीगंज प्रखंड क्षेत्र के तिराट ग्राम पंचायत अंचल में दामोदर नदी तिराट घाट क्षेत्र से अंधाधुंध बालू खनन से जहां पर्यावरण को लगातार क्षति पहुंच रही है, वहीं बेहिसाब बालू से लदी गाड़ियों के बारंबार परिवहन से सड़कों व सेतुओं का बुरा हाल है. इस तरह तिराट ग्राम पंचायत क्षेत्र के लोग दोहरा संकट झेल रहे हैं और यह संकट बीतते समय के साथ गहराता जा रहा है. इस स्थिति से स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उन लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया. बालू लदे वाहनों व डंपरों को रोक प्रतिवाद जताया. आरोप लगाया कि यहां तीन स्थानों से अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है, जिससे ना सिर्फ पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है, बल्कि रास्ते व पुल भी जर्जर हो रहे हैं.
ग्रामीणों ने किया चक्काजाम
अवैध खनन और जर्जर सड़कों के खिलाफ हाड़ाभांगा और तिराट इलाके की महिलाओं ने बालू लदे वाहनों को रोककर धरना प्रदर्शन किया. उन्होंने मांग की कि ग्रामीण सड़कों की मरम्मत की जाए और स्थानीय बेरोजगारों को बालू घाटों में काम दिया जाए बाउरी समाज के बैनर तले ग्रामीणों ने हाड़ाभांगा पुल को भी जाम कर प्रदर्शन किया. उन्होंने पुल की जर्जर अवस्था पर चिंता व्यक्त की और प्रशासन से तत्काल मरम्मत की मांग की. पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया,पर सन्ध्या तक बालू लदे वाहनों की आवाजाही बंद थी.
इसीएल के नाम पर अवैध खनन
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसीएल के नाम पर तड़के 3:00 बजे से 6:00 बजे तक अवैध रूप से बालू निकाला जाता है, जिसे विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है. आसनसोल के एक निवासी को बालू निकालने का ठेका दिया गया है, जहां 18 चक्के वाले ट्रक में 40 से 50 टन तक बालू भर कर निकलते हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी हैं, जबकि इस सड़क की क्षमता केवल 10 टन की है.
गलत चालान का उपयोग
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बालू लदे वाहनों को दामोदर नदी के पुरुलिया जिले का चालान दिया जा रहा है, जबकि बालू बांकुडा जिले के शालतोड़ ब्लॉक के शालमा पंचायत के अधीन साहेबडांगा से निकाला जा रहा है. इसके अतिरिक्त, ट्रैक्टरों के माध्यम से भी अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है, जिसमें कुछ स्थानीय लोग भी शामिल हैं.
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