बांकुड़ा.
जिले में रवींद्रसरणी सार्वजनिक दुर्गोत्सव पूजा समिति इस बार अपने 77वें वर्ष में प्रवेश कर रही है. हर साल की तरह इस वर्ष भी समिति ने एक सामाजिक संदेश को थीम बनाया है. इस बार का विषय है “प्रकृति के प्रकोप से खोई हुई प्रकृति को लौटाना “. पंडाल में प्रकृति की आभा को पुनः स्थापित करने का संदेश दिया जाएगा.थीम में दिखेगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश
पूजा समिति का कहना है कि आधुनिक सभ्यता के चलते ऊंची-ऊंची इमारतें, कारखानों का प्रदूषण, कारों का शोर और विकिरण ने प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचाया है. भारी बारिश, तूफान और पक्षियों की मौत जैसे उदाहरण इसी छेड़छाड़ के नतीजे हैं. समिति का उद्देश्य है कि कला के माध्यम से लोगों को प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में लौटाने का संदेश दिया जाए. पूजा मंडप के भीतर और बाहर दोनों जगह इस थीम को जीवंत किया जायेगा.
इतिहास व आयोजन की विशेषताएं
संयुक्त सचिव पार्थ सारथी दरीपा ने बताया कि समिति की स्थापना 1949 में हुई थी और ग्रामीणों की भागीदारी से यह जिले के लोकप्रिय सार्वभौमिक दुर्गोत्सवों में से एक बन गया है. इस बार पूजा बजट 16 से 20 लाख रुपये के बीच है और पंचमी के दिन पंडाल का उद्घाटन होगा. समिति हर साल की तरह इस बार भी रक्तदान शिविर आयोजित करने की योजना बना रही है. दशमी के दिन सिंदूर खेला मुख्य आकर्षण रहेगा, जिसके लिए भारी भीड़ की संभावना है. व्यवस्था संभालने के लिए वोलेंटियर्स तैनात किए जायेंगे. समिति के संयुक्त सचिव सुदीप चक्रवर्ती, अध्यक्ष अरुण बनर्जी और तरुणकुमार कुंडू ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी भक्तिमय माहौल में पूजा का आयोजन होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

