अंडाल.
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) के केंदा क्षेत्र पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ओसीपी खदानों के संचालन के लिए जमीन लेकर न तो मुआवजा दिया जाता है और न ही समय पर नौकरी. बहुला ग्राम के अनाथबंधु पाल का आरोप है कि वर्ष 2000 में उनकी जमीन बिना अधिग्रहण के बहुला कोलियरी ने नष्ट कर दी और प्योर जामबाद यूनिट के लिए पक्की सड़क का निर्माण कर दिया. उनका कहना है कि बहुला मौजा के दाग नंबर 818, 824, 830, 835, 836, 866 और 924 में कुल 41 शतक जमीन पर सड़क बनायी गयी, लेकिन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई और उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिला. अनाथबंधु पाल ने बताया कि जामबाद ऑफिस पाड़ा के पास भी दाग नंबर 1815 की 1.56 शतक जमीन पर बिना अधिग्रहण के खेल मैदान और क्लब बना दिया गया. अब तक इसका मुआवजा नहीं मिला है. उन्होंने आगे कहा कि जामबाद ओसीपी में सिदुली मौजा दाग नंबर 386 की 26 शतक और दाग नंबर 370 की 15 शतक जमीन पर ओबी डंप डालकर जमीनें नष्ट कर दी गयीं. परासकोल मौजा दाग नंबर 1225 की 26 शतक जमीन पर भी यही हुआ. आरोप है कि शिकायत करने के बावजूद ईसीएल प्रबंधन या पुलिस प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. मिट्टी डंपिंग रोकने के अनुरोध पर उल्टा उन्हें ही पुलिस ने उठाया, हालांकि बाद में छोड़ दिया गया. इसके बावजूद डंपिंग बंद नहीं हुई.कई बार गुहार, अंततः कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
अनाथबंधु का कहना है कि मुआवजे के लिए वे ईसीएल, कोलियरी और एरिया ऑफिस के चक्कर काटते रहे. कुछ समय के लिए बहुला कोलियरी से आंशिक मुआवजा मिला, लेकिन बाद में वह भी बंद कर दिया गया. अब मजबूर होकर उन्होंने कोर्ट में मामला दायर किया है. उनका कहना है कि इसीएल उनकी जमीन पर काम बंद नहीं कर रहा है.प्रबंधन का पक्ष
एरिया प्रबंधन का कहना है कि जमीन दाताओं को कागजात जमा करने के लिए कहा गया था, लेकिन सही कागजात समय पर जमा न होने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

