बांकुड़ा.
ग्रामीण इलाकों में हाल के दिनों में सांपों की बढ़ती मौजूदगी और आम लोगों में बढ़ते भय को देखते हुए बांकुड़ा उत्तर वन विभाग ने शनिवार को बेलियातोड़ में विशेष कार्यशाला आयोजित की. सांपों को बिना नुकसान पहुंचाए रेस्क्यू करने और सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ने की प्रक्रिया को लेकर राज्य के सर्प-विशेषज्ञों ने वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया.रेस्क्यू तकनीक और ट्रेनिंग
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि देश में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन पर लगातार शोध हो रहे हैं. सांपों के शरीर से जहर इकट्ठा करने की प्रक्रिया और उनसे जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी भी साझा की गई. वन विभाग ने बताया कि हर विभाग में सांप रेस्क्यू के लिए दो प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती की जा रही है. बांकुड़ा उत्तर वन विभाग के अधिकारी शेख फरीद ने कहा कि किसी भी सांप को रेस्क्यू करने के बाद लगभग दो माह तक निगरानी में रखा जाता है. इस दौरान सांप के शरीर में मौजूद हानिकारक माइक्रोब्स को खत्म किया जाता है और उसके बाद सांप को उचित जगह पर छोड़ा जाता है. निगरानी अवधि में सांप का जहर भी वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत एकत्र किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

