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चुरुलिया को पर्यटन स्थल बना रही राज्य सरकार, पर नजरुल अकादमी को नागवार

पश्चिम बंगाल सरकार का पर्यटन विभाग, काजी नजरुल के पैतृक गांव चुरुलिया को पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित करने में लगा है. राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के प्रथम चरण में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से कवितीर्थ का विकास कार्य किया जा रहा है.

आसनसोल.

पश्चिम बंगाल सरकार का पर्यटन विभाग, काजी नजरुल के पैतृक गांव चुरुलिया को पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित करने में लगा है. राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के प्रथम चरण में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से कवितीर्थ का विकास कार्य किया जा रहा है. यह जानकारी देते हुए काजी नजरुल यूनिवर्सिटी (केएनयू) के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) चंदन कोनार ने बताया कि राज्य सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से काजी नजरुल के पैतृक गांव चुरुलिया को कवितीर्थ के रूप में विकसित करने की योजना पर कार्य चल रहा है. प्रथम चरण में कविता मंच, म्यूजियम और कवि के पैतृक कच्चे घर का जीर्णोद्धार किया जायेगा. म्यूजियम के विकास का कार्य शुरू होने जा रहा है. इसलिए चुरुलिया से ऐतिहासिक धरोहर को केएनयू के म्यूजियम में लाया जायेगा. कवितीर्थ चुरुलिया के म्यूजियम का जीर्णोद्धार होने के दो-तीन माह बाद उसे वापस यथास्थान पर रख दिया जायेगा. बताया कि किसी भी महापुरुष की संपत्ति, जैसे कि पेटेंट, कॉपीराइट या प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के अधिकार के बदले में रॉयल्टी भुगतान होता है. यह भुगतान अक्सर एक निश्चित अवधि के लिए या संपत्ति के उपयोग के आधार पर किया जाता है. यदि किसी लेखक ने अपनी पुस्तक के प्रकाशन के लिए एक प्रकाशक को अधिकार दिया है, तो प्रकाशक को पुस्तक की हर प्रति की बिक्री पर लेखक को रॉयल्टी देनी पड़ती है. रॉयल्टी भुगतान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संपत्ति के मालिक को उनकी संपत्ति के उपयोग के बदले मुआवजा दिया जाये. यह एक कानूनी व व्यावसायिक व्यवस्था है, जो संपदा के मालिक व संपदा का उपयोग करनेवाले पक्ष के बीच एक समझौते पर आधारित होती है. फिलहाल 60 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ही रॉयल्टी का भुगतान कानूनी वैधानिक उत्तराधिकारी(कानूनन घोषित वारिस) को किया जायेगा.

राज्य सरकार की ओर से कवि की किसी भी चीज के उपयोग के लिए उनके कानूनी वारिस यानी भतीजे अरिंदम काजी की अनुमति ली जा चुकी है. कुछ लोगों अपने निजी स्वार्थ से रिश्तेदार बता कर इसका विरोध कर रहे हैं. पर राज्य सरकार की योजना के तहत कवितीर्थ चुरुलिया को पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य जिला प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है. इस योजना के तहत चुरुलिया को पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. उसके बाद काजी नजरुल अकादमी के अधीन केएनयू की ओर से कई सर्टिफाइड कोर्स शुुरू किये जायेंगे.

दूसरी ओर, जीर्णोद्धार के लिए म्यूजियम से चीजें हटाने के खिलाफ काजी नजरुल अकादमी मुखर हो गयी है. काजी नजरुल की भतीजी सोनाली काजी ने कहा कि म्यूजियम में नजरुल की स्मृति से जुड़ी कई सामग्रियां संजो कर रखी गयी हैं. वे उसे गांव से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं देंगी. म्यूजियम के सामान को चुरुलिया में ही किसी दूसरे मकान में रखना होगा.

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