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नये श्रम कानूनों के खिलाफ पश्चिम बर्दवान की कोलियरियों में सीटू के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन

नये श्रम कानून के खिलाफ वामपंथी श्रमिक संगठनो ने करारा प्रतिरोध शुरू कर दिया है.

जामुड़िया.

नये श्रम कानून के खिलाफ वामपंथी श्रमिक संगठनो ने करारा प्रतिरोध शुरू कर दिया है. संविधान दिवस के अवसर पर,सीटू के नेतृत्व में इसीएल के विभिन्न एरिया समेत कोलियरियों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें विभिन्न खदान क्षेत्रों के हजारों मजदूरों ने अपनी आवाज उठायी.

व्यापक आंदोलन : श्रमिक- हितैषी दावों को बताया कॉर्पोरेट-पक्षीय

यह विरोध उस समय तेज हुआ, जब 21 नवंबर को केंद्र सरकार ने विज्ञप्ति जारी कर श्रम संहिताओं को ‘श्रमिक-हितैषी’ बताते हुए इनके कार्यान्वयन को बढ़ाने का निर्देश दिया. नॉर्थ सीआरसोल ओसीपी, कुनुस्तोड़िया कोलियरी, बांसड़ा कोलियरी, परसिया समेत जिले के कई खदान क्षेत्रों में मजदूरों ने जुलूस निकाले और प्रदर्शन किए. सीटू ने सरकार के इस कदम के जवाब में प्रेस बयान जारी कर उसके दावों को ‘भ्रामक, कॉर्पोरेट-पक्षीय और मजदूर-विरोधी’ बताया, और श्रम संहिताओं को तुरंत वापस लेने की मांग की.

नॉर्थ सीअरसोल में आयोजित विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू जिला कमेटी के वरिष्ठ नेता कलीमुद्दीन अंसारी ने इन कोडों के गंभीर परिणामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये श्रम कोड मजदूरों को ठेका व्यवस्था में धकेलने, यूनियनों को कमजोर करने और कंपनियों को बिना रोक-टोक छँटनी की छूट देने वाले कानून हैं.

उन्होंने सभी ट्रेड यूनियनों से मिलकर इन कानूनों के खिलाफ एक निर्णायक संघर्ष छेड़ने का आह्वान किया. कलीमुद्दीन अंसारी ने मजदूरों को चेताया कि कई मजदूर संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन जो संगठन जैसे बीएमएस खुद को मजदूर हितैषी बताते हैं, उन्हें संकट की घड़ी में सरकार का समर्थन करने के लिए सावधान रहने की जरूरत है. प्रदर्शन के दौरान सीटू नेताओं ने विस्तार से श्रम कोडों के उन 12 प्रमुख बिंदुओं का खंडन किया, जिन्हें सरकार श्रमिक-हितैषी बता रही है.

संविधान दिवस पर अधिकारों की रक्षा की मांग

कोलियरियों में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाये और श्रम संहिताओं की प्रतियां प्रतीकात्मक रूप से जला कर अपना विरोध जताया. मजदूरों ने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर सरकार को मजदूरों के अधिकार मजबूत करने चाहिए थे, उन्हें छीना नहीं जाना चाहिए था. सीटू नेताओं ने अंत में घोषणा की कि यह आंदोलन केवल शुरुआत है और आने वाले दिनों में संयुक्त ट्रेड यूनियनों का राज्यव्यापी सम्मेलन, संसद मार्च, और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल आयोजित की जायेगी, ताकि इन कोडों को वापस लिया जाये.

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