श्रमिकों के अधिकारों पर नये श्रम कानूनों के संभावित प्रभावों को लेकर बैठक आयोजित
रानीगंज. सीटू के महासचिव तपन सेन ने नये श्रम कानूनों के खिलाफ गहरी चिंता व्यक्त की है. 20 अप्रैल को कोलकाता में आयोजित ब्रिगेड रैली और 20 मई को घोषित अखिल भारतीय हड़ताल की तैयारियों के मद्देनजर, बांसड़ा कोलियरी कोऑपरेटिव हॉल में सीएमएसआइ (सीटू) द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने कहा कि यदि नया श्रम कोड लागू किया जाता है, तो यह श्रमिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा.कोयला श्रमिकों के अधिकारों को खतरा
तपन सेन ने कहा कि कोयला मजदूरों ने लंबे और कठिन आंदोलनों के माध्यम से जो अधिकार और विशेषाधिकार हासिल किए हैं, उन्हें नये श्रम कानूनों के तहत एक झटके में छीन लिया जायेगा. उन्होंने विशेष रूप से कोयला श्रमिकों के वेतन निर्धारण के लिए गठित जेबीसीसीआइ (संयुक्त द्विपक्षीय कोयला समिति) और अन्य संयुक्त समितियों के भविष्य पर सवाल उठाया, और कहा कि ये समितियां अंततः समाप्त हो जायेंगी.सरकार की नीतियों पर हमला
केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए तपन सेन ने कहा कि भाजपा सरकार सरकारी खदानों और औद्योगिक संस्थानों को बड़े पूंजीपतियों को सौंपने की कोशिश कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार श्रमिकों से 8 घंटे की बजाय 12 घंटे काम कराने की साजिश रच रही है. इस नीति के खिलाफ संगठित प्रतिरोध का आह्वान करते हुए उन्होंने उपस्थित मजदूरों से 20 मई की अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने की अपील की.बैठक में नेताओं का योगदान
बैठक में पश्चिम बर्दवान जिला सीटू सचिव बंशगोपाल चौधरी, कुनुस्तोड़िया क्षेत्र सीएमएसआइ नेता कलीमुद्दीन अंसारी और सीएमएसआइ केंद्रीय समिति के कई अन्य नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये और नये श्रम कानूनों के संभावित नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला. बैठक की अध्यक्षता असगर अली ने की, जिन्होंने श्रमिकों से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

