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शव के दाह संस्कार के समय हो गयी मौत

रूपनारायणपुर : ठीका पर शवों के दाह संस्कार का कार्य करने वाले आलोक सेन (मामा) का निधन बुधवार की रात चित्तरंजन अजय नदी श्मशान घाट पर एक महिला के दाह संस्कार करने के दौरान हो गया. गुरु वार को उनके शव का भी दाह संस्कार उसी घाट पर संपन्न हुआ. चित्तरंजन रेल नगरी में स्ट्रीट […]

रूपनारायणपुर : ठीका पर शवों के दाह संस्कार का कार्य करने वाले आलोक सेन (मामा) का निधन बुधवार की रात चित्तरंजन अजय नदी श्मशान घाट पर एक महिला के दाह संस्कार करने के दौरान हो गया. गुरु वार को उनके शव का भी दाह संस्कार उसी घाट पर संपन्न हुआ. चित्तरंजन रेल नगरी में स्ट्रीट नम्बर 43 कान्गोयी पहाड संग्लन एक खटाल के पास झोपडी बना कर रहने वाले और एरिया पांच सामुदायिक भवन के पास पिछले 35 वर्षों से साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चला रहे मामा(60) छह सौ से अधिक शवों का दाह संस्कार कर चुके है.
पहले यह कार्य वे समाज सेवा के रूप में करते थे. पिछले तीन वर्षों से इस इलाके में शवों के दाह संस्कार के लिए ठेका प्रथा आरम्भ हुयी. जिसमे दाह संस्कार के लिए लकडी का चयन, चिता सजाना और अंत तक शव को जलाकर घरवालों को अस्थि का टुकडा देकर वापस लौटना शामिल होता है. एक शव को जलाने का ठेका पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक होता है. अनेकों ग्रुप इस कार्य में जुटे है.
मामा ने भी बदलते इस दौर में समाज सेवा को अपना प्रोफेशन बना लिया. बुधवार की रात को अरिबन्द नगर निवासी बिमान शर्मा की पत्नी के शव का दाह संस्कार करने के लिए मामा चित्तरंजन घाट पर गये हुए थे. चिता में आग लगने के बाद मामा कुछ समय बाद गिर पडे. उन्हें वहां से उठाकर स्थानीय चिकित्सक के पास ले जाया गया. चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित किया. सैकडों शवों का दाह संस्कार करने वाले की मौत घाट पर दाह संस्कार करने के दौरान होना इलाके में चर्चा का विषय बना है.

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