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रेलवे को 26 फीसदी शेयर
रघुनाथपुर थर्मल पावर स्टेशन को बेचने की सरकारी तैयारी पूरी आसनसोल : दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के रघुनाथपुर थर्मल पावर स्टेशन (आरटीपीएस) को नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) को बेचने के साथ-साथ इसके 26 फीसदी शेयर भारतीय रेलवे को भी बेचे जायेंगे. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल इस संबंध में शीघ्र ही रेल मंत्री सुरेश […]
रघुनाथपुर थर्मल पावर स्टेशन को बेचने की सरकारी तैयारी पूरी
आसनसोल : दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के रघुनाथपुर थर्मल पावर स्टेशन (आरटीपीएस) को नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) को बेचने के साथ-साथ इसके 26 फीसदी शेयर भारतीय रेलवे को भी बेचे जायेंगे.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल इस संबंध में शीघ्र ही रेल मंत्री सुरेश प्रभू से बात करेंगे. इस थर्मल में रेलवे का मालिकाना होने से उसे भी काफी लाभ होगा. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डीवीसी के अधिकारियों व टड्र यूनियनों के विरोध के बाद भी इस प्रोजेक्ट को बेचने का निर्णय लिया जा चुका है.
क्या है मामला
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आरटीपीएस की उत्पादन क्षमता 2,520 मेगावाट क्षमता की है. इसका निर्माम दो फेट में किया जाना है. पहले फेज में छह-छह सौ मेगावाट उत्पादन क्षमता की दो यूनिटें लगनी है तथा दूसरे फेज में 660-660 मेगावाट क्षमता की दो यूनिटें स्थापित होनी है. इस परियोजना में पहले फेज का कार्य पूरा हो चुका है. लेकिन कतिपय जटिलताओं के कारण वाणिज्यिक उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा है. मुख्य समस्या भूमि से जुड़ी है.
दूसरे फेज के निर्माण के लिए उपकरणों की आपूत्तर्ि का आदेश भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) तथा बीएमआर जैसी कंपनियों को दिया जा चुका है. लेकिन इस निर्माम के मार्ग में मुख्य बाधा वित्तीय संसाधनों की है. डीवीसी पर इस समय तीस हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. इस स्थिति में इस प्रोजेक्ट को लिए वह अतिरिक्त कर्ज लेने की स्थिति में नहीं है.
बाजार में ग्राहकों के पास उसका अठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बकाया है. इनमें से अधिकांश बकाया झारखंड व पश्चिम बंगाल सरकारों की बिजली कंपनियों के पास है. डीवीसी के मालिकाने में इन दो राज्य सरकारों की भी भागीदारी है. इस कारण इस बकाये की वसूली के लिए डीवीसी अधिकारी अधिक दबाब नहीं बना पाते हैं.
एनटीपीसी को सौंपने की तैयारी
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने इसे एनटीपीसी को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एनटीपीसी बोर्ड के स्तर से इसकी मंजूरी मिल चुकी है तथा शीघ्र ही डीवीसी बोर्ड की मंजूरी हो जायेगी. पिछले माह बोर्ड की बैठक होनी थी, लेकिन कतिपय कारणों से बैठक स्थगित हो गयी. डीवीसी के अधिकारियों व ट्रेड यूनियनों ने इस बिक्री का विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि बेचने के बजाय यदि केंद्र सरकार उसके बकाये भुगतान में सहयोग करें तो डीवीसी अपने स्तर से इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लेगी. लेकिन केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है.
क्या है सरकारी रूख
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री गोयल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट डीवीसी के लिए संकट का कारण बनता जा रहा है. इसकी बिक्री होने से सभी मालिकों व शेयर होल्डरों को राहत मिलेगी.उन्होंने दावा कि इसके मुख्य शेयर होल्डरों में पश्चिम बंगाल व झारखंड राज्य सरकारें शामिल है.
उन्होंने इनकी मुख्यमंत्री क्रमश: ममता बनर्जी व रधुवर दास से इस मुद्दे पर बात की है तथा दोनों ने इस पर सहमति जतायी है. इसे एनटीपीसी के हाथों में सौंपा जायेगा. लेकिन इसके 26 फीसदी शेयर भारतीय रेल को सौंपे जाने की योजना है.
वे शीघ्र ही रेल मंत्री श्री प्रभू से इस संबंध में बात करेंगे. उनका तर्क है कि इसमें भारतीय रेल की भागीदारी होने से जहां उसे एक कैप्टिव बिजली घर मिल जायेगा, वहीं उसके बिजली दर में भी काफी कमी आयेगी.
सनद रहे कि रेल मंत्री रहने के समय मख्यमंत्री सुश्री बनर्जी ने घोषणा की थी कि आद्रा में भारतीय रेल अपना थर्मल प्लांट स्थापित करेंगी. उनका मंत्रलय बदल जाने के बाद यह घोषणा मूर्त्त रूप नहीं ले पायी थी. इस प्लांट में भारतीय रेल की भागीदारी होने से वह परिकल्पना मूर्त्त हो सकेगी.
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