केएनयू में विश्व हिंदी दिवस पर बोले अतिथि
आसनसोल : इसीएल के कार्मिक निदेशक विनय रंजन ने कहा कि हिंदी में सभी भाषाएं समाहित हैं. इसीएल प्रबंधन हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए लगातार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. शिल्पांचल में हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए प्रबंधन काजी नजरूल यूनिवर्सिटी (केएनयू) के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगा. शुक्रवार को केएनयू में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर “विश्व भाषा के रूप में हिंदी का स्वरूप” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में श्री रंजन ने ये बातें कहीं.
उपकुलपति डॉ. साधन चक्रवर्ती, रजिस्ट्रार अतिरिक्त प्रभार एसके घोष, कला संकाय अध्यक्ष सह डीन प्रोफेसर डॉ. बिजय कुमार भारती, राजभाषा महाप्रबंधक प्रफुल्ल कुमार, इसीएल के राजभाषा अधिकारी जितन कुमार वर्मा, संयोजक सह हिंदी विभाग की डॉ. एकता कुमारी आदि उपस्थित थे. विश्व में सर्वाधिक एवं पूरे विश्व में 1300 मिलियन लोगों द्वारा बोली एवं समझे जाने वाली हिंदी भाषा, विश्व भाषा होने के सभी मानकों को न सिर्फ पूरा करती है. बल्कि सभी कसौटियों पर भी खरी उतरती है.
इसीएल के राजभाषा अधिकारी जितन वर्मा ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा द्वारा स्वीकृत डॉ. जयंती प्रसाद नौटिया के 20 वर्षों के शोध आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विश्व में हिंदी भाषा को बोलने, समझने एवं जानने वाले लोगों की संख्या 1300 मिलियन, चाइनीज 1100 मिलियन, अंग्रेजी भाषा को बोलने, समझने एवं जानने वाले लोगों की संख्या 1000 हजार मिलियन है. विश्व की जनसंख्या का 18 % हिंदी को, 15.23 % चाइनीज को तथा 13.83 % अंग्रेजी भाषा को लोग समझते व जानते हैं. वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक बोली एवं समझी जाने वाली हिंदी भाषा का स्थान विश्व में दूसरे नंबर पर है. हिंदी को समझने वाले पूरे विश्व में पाये जाते हैँ. उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य का समृद्ध इतिहास 1250 वर्षों का पुराना इतिहास है. साहित्य लेखन की जितनी विधाएं हैँ.
उनमें सभी विधाओं में हिंदी का लेखन होता है. मुंशी प्रेमचंद की रचना गोदान, तुलसीदास की रामचरित मानस, जयशंकर प्रसाद की कामायनी पूरे विश्व में पढ़ी जाती है. दुनिया भर में लोग रात को सोते समय, सुबह जागते समय श्रद्धा एवं आस्था के साथ रामचरित मानस के श्लोकों एवं चौपाईयों का पाठ करते हैं. नित नयी तकनीकों के साथ खुद को आसानी से समायोजित कर लेने वाली हिंदी भाषा अपने को समृद्ध और सशक्त करने में सक्षम है. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, ओरेकल आदि सभी तकनीकों के साथ हिंदी खुद को समृद्ध और सशक्त कर रही है.
उन्होंने कहा कि जनसंचार के प्रमुख माध्यमों स्टार न्यूज, स्टार प्लस चैनल केवल अंग्रेजी भाषा में आरंभ किये गये थे. हिंदी के वैश्विक मांग को देखते हुए इन्होंने हिंदी में भी प्रसारण आरंभ किया. डिस्कवरी, सीएनबीसी, हिस्टरी चैनलों ने हिंदी के वैश्विक प्रभाव को देखते हुए हिंदी में प्रसारण कर रहे हैँ. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबारों में हिंदी का प्रथम स्थान है. 2007 के शोध कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि गूगल में अंग्रेजी में जितनी सामग्रियां खोजी जाती हैं. इससे 5.5 प्रतिशत ज्यादा सामग्रियां हिंदी भाषा में खेाजी जाती हैँ.
किसी भी भाषा के साहित्य को उस भाषा की चेतना का संवाहक बताया. उन्होंने कहा कि ऑक्सफोर्ड डिक्श्नरी में अनेकों शब्द हिंदी से लिये गये हैं. यह हिंदीभाषियों के लिए गर्व की बात है. उपकुलपति डॉ चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण में हिंदी को विश्व की सबसे संपन्न एवं सम्मानीय भाषा बताते हुए हिंदी पर गर्व बोध होने की बात कही.
संगोष्ठी का उद्घाटन उपकुलपति डॉ. चक्रवर्ती ने दीप जलाकर कर किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता इसीएल के कार्मिक निदेशक विनय रंजन ने की. संचालन प्रतिमा प्रसाद एवं धन्यवाद ज्ञापन बिजय कुमार साव ने दिया.