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फूल की खेती नहीं करना चाहते किसान

दुर्गापुर : दुर्गापुर से लेकर गलसी तक के दामोदर के मानचर इलाके मे फूलों की व्यापक रूप से खेती की जाती है. हाल ही में कम मुनाफा के कारण फूलों की खेती में कमी आई है. फूलों की खेती में मुनाफा कम होने से इलाके के किसान फूलों की खेती से विमुख होते दिख रहे […]

दुर्गापुर : दुर्गापुर से लेकर गलसी तक के दामोदर के मानचर इलाके मे फूलों की व्यापक रूप से खेती की जाती है. हाल ही में कम मुनाफा के कारण फूलों की खेती में कमी आई है.

फूलों की खेती में मुनाफा कम होने से इलाके के किसान फूलों की खेती से विमुख होते दिख रहे हैं. इलाके में फूल की खेती करने वाले गोविंद मजूमदार ने बताया कि जब शहर के बाजार में 10 रुपये में एक गेंदे फूल की माला बेची जाती है. तब उन्हें मजबूरन तीन सौ से साढ़े तीन सौ रुपये मे एक सौ माला बेचनी पड़ती है, जिससे उनके हाथ कुछ भी न नहीं बचता है.

वही एक अन्य किसान रतन गाइन का कहना है कि फूलों की खेती की लागत में वृद्धि हुई है, लेकिन उन्हें थोक या खुदरा बाजार में समान कीमत नहीं मिल रही है. सब्जी किसान के रूप मे इलाके मे जाने वाले रतन तीन साल पहले, दो बीघा जमीन पर फूलों की खेती करते थे. बताया जाता है कि अभी एक खेत मजदूर का वेतन 250 रुपये है. ऐसे मे फूल की खेती से लोग दूर हो रहे है.

अधिकांश फूल किसानो का कहना है की गुलाब और राजनीगंधा की कीमते बाजार मे अच्छी है. लेकिन इसकी कीमत पर, सब्जियों की खेती करना बेहतर है. इलाके के किसान साधारणत गेंदा, गुलाब और रजनीगंधा की खेती करते हैं, जिसमे गेंदा की खेती अधिक होती है. अधिक खेती होने के बाद भी बाजार मे बिक्री भी अधिक होती है. लेकिन मुनाफा नहीं मिलता है. प्राय: सालों से फूल की खेती कर रहे सुधांशु जाना ने बताया कि फूल की खेती मे काफी मेहनत करनी पड़ती है.

मुंह अधेरे फूलों को तोड़ कर बाजार मे लाना पड़ता है. दिन अधिक बीतने से फूल मुरझाने लगते है, जिसका फायदा थोक व्यापारी उठाते हैं. इसी वजह से फूल की खेती करने वाले किसानो की संख्या मे लगातार गिरावट आ रही है. लोग अन्य खेती में अपना ध्यान लगा रहे हैं.

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