फादर्स डे के मौके पर शिल्पांचल में भी देखा गया उत्साह
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पिता एक वृक्ष है, जिसकी छांव में पूरा परिवार सुख से रहता है
फादर्स डे के मौके पर शिल्पांचल में भी देखा गया उत्साह बच्चों ने अपने पिता के प्रति जताया प्यार होटल, रेस्तरां और मॉल मे देखी गयी भीड़ दुर्गापुर : फादर्स डे दुनिया भर में हर साल जून के तीसरे रविवार को पिता के सम्मान में और बच्चों के जीवन में पिता के योगदान के रूप […]
बच्चों ने अपने पिता के प्रति जताया प्यार
होटल, रेस्तरां और मॉल मे देखी गयी भीड़
दुर्गापुर : फादर्स डे दुनिया भर में हर साल जून के तीसरे रविवार को पिता के सम्मान में और बच्चों के जीवन में पिता के योगदान के रूप में मनाया जाता है. वैसे तो फादर्स डे विश्व भर में अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है लेकिन ज्यादातर देश इस दिन को जून के तीसरे रविवार को मनाते हैं.
पूरे देशभर के साथ शिल्पांचल में भी फादर्स डे को लेकर उत्साह देखा गया. बच्चों ने गिफ्ट, मैसेज, कोट्स आदि के माध्यम से फादर्स डे पर अपने पिता के प्रति प्यार जताया. इसके मद्देनजर शहर के विभिन्न होटल, रेस्तरां और मॉल में लोगो को अपने पिता के साथ फादर्स डे मानते देखे गये. शहर के समाजसेवी राकेश भट्ट्ड़ का कहना है की बचपन से ही हमें यह बताया जाता है की हमारे सबसे बड़े शिक्षक हमारे माता –पिता होते है.
माता-पिता ही है जिन्हें एक बच्चा सबसे पहले देखता है और जानता है. माता – पिता को देखकर और उनकी बातें सुनकर ही व्यक्ति संस्कारवान बनता है.जिस व्यक्ति के जीवन में माता –पिता का साथ होता है वह व्यक्ति इस दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति है.व्यवसायी और रोटरी क्लब से जुड़े योगेश माहेश्वरी का मानना है की किसी भी व्यक्ति के जीवन की सफलता में सबसे ज्यादा योगदान उसके पिता का ही होता है. पिताजी की बातें व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ में प्रेरित करती है. व्यवसायी और समाज सेवा संजय अग्रवाल और राजा सिंह का कहना है की दुनिया में केवल पिता ही एक ऐसा इंसान है जो चाहता है की मेरे बच्चे मुझसे भी ज्यादा कामयाब हों. पिता सिर्फ दो चीज देकर जाता है, नसीहत और वसीयत.
चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सचिव भोला भगत का कहना है की दुनिया में पिता ही एक ऐसा होता है जो अपनी औलाद को अपने से आगे बढ़ते देखना चाहता हैं. बोझ कितना भी हो लेकिन कभी उफ तक नहीं करता, कन्धा बाप का बड़ा मजबूत होता हैं. दुर्गापुर सेवा खालसा दल के मीड प्रधान अवतार सिंह बीर का मानना है की जीवन में पिता का स्थान प्रभु से कम नहीं है. पिता नीम के पेड़ के जैसा होता है जिसके पत्ते भले ही कड़वे हो पर छाया हमेशा ठंडी देता हैं. अपने पिता की बातें सुनो, उनको समय जरूर दो, क्योंकि उन्होंने आपकी बातें तब भी सुनी थी जब आप बोलना भी नहीं जानते थे.
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