कोलकाता: राज्य में वर्तमान स्थिति वामपंथियों के लिए परीक्षा की घड़ी है. केवल वामपंथियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे राज्यवासियों के लिए ही परीक्षा की घड़ी है. हर जगह आतंक का माहौल है. जिससे निबटने के लिए तैयार रहना होगा. राज्य के किसी भी कोने में सुशासन नहीं है. तृणमूल सरकार राज्य में फैली अराजक स्थिति के लिए अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है. यह बात राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सोमवार को कही. माकपा के दिवगंत नेता मुज्जफर अहमद (काकाबाबू) की जयंती के उपलक्ष्य में महाजाति सदन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान वे अपना वक्तव्य रख रहे थे. इस मौके पर राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन विमान बसु, विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र, रॉबिन देव, सुजय चक्रवर्ती समेत अन्य वामपंथी नेतागण व कार्यकर्ता मौजूद रहे.
तेलंगाना से अलगाववादी राजनीति तेज हुई
अलग राज्य गोरखालैंड के मुद्दे पर दार्जिलिंग में अशांत माहौल के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के साथ कांग्रेस नेतृत्ववाली केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना को लेकर केंद्र के फैसले ने पूरे देश में अलगाववादी राजनीति को हवा दी है. यही वजह है कि दार्जिलिंग समेत देश के कई राज्यों का माहौल अशांत हो गया है. दार्जिंिलंग की समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सर्वदलीय बैठक की मांग दोहरायी. साथ ही इस मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार में तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया.
वामपंथियों पर लगातार हमले का आरोप
माकपा के आला नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा कि विगत विधानसभा चुनाव के बाद से ही वामपंथियों पर लगातार हमले हो रहे हैं. उन्होंने इसका आरोप तृणमूल कार्यकर्ताओं पर लगाया. वामपंथियों के लिए यह समय कठिन परीक्षा की घड़ी है. राज्य में संवैधानिक नियमों व आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए वामपंथियों को आंदोलन जारी रखना होगा.
पंचायत चुनाव में धांधली का आरोप
हाल ही में राज्य में हुए पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि ऐसी स्थिति कभी नहीं हुई जब अदालत को पंचायत चुनाव की तिथि निर्धारित करने के लिए निर्देश देना पड़ा हो. आरोप के मुताबिक पंचायत चुनाव होने वाली धांधली के लिए तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है. पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र वापस लेने के लिए वामपंथी उम्मीदवारों को धमकाया गया. उनपर हमले हुए. यही वजह है कि चुनाव के पहले ही निर्विरोध करीब छह हजार से ज्यादा सीटों पर तृणमूल उम्मीदवार विजयी रहे. पंचायत चुनाव में हजारों-हजारों लोगों को मतदान नहीं देने दिया गया. इन घटनाओं के बाद भी मुख्यमंत्री ममता नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार का दावा है कि पंचायत निष्पक्ष व शांतिपूर्ण हुई. राज्यवासी वर्तमान स्थिति से वाकिफ हैं. अब उन्हें ही फैसला करना है कि आगे क्या करना है.