कोलकाता: आर्थिक तंगी व संरक्षण में कमी के कारण अलीपुर चिड़ियाखाना में रहनेवाले जानवरों की जो दुर्दशा हो रही है, यह बात किसी से छिपी नहीं हुई है. यहां के जानवरों का सही प्रकार से देख भाल नहीं होने के कारण यहां की स्थिति खराब होती जा रही है. लेकिन अगर हम चाहें तो यहां के जानवरों के लिए मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं. यहां तक कि यहां के जानवरों को गोद भी ले सकते हैं. इसके लिए हमें सिर्फ कुछ रुपये चुकाने होंगे, जो इनके जीवन के आगे कुछ भी नहीं है. कोलकाता के अलीपुर में स्थित चिड़ियाखाना प्रबंधन ने अब जानवरों को गोद लेने की प्रथा शुरू करने का फैसला किया है. इस संबंध में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर, भारत की स्टेट डायरेक्टर शास्वती सेन ने बताया कि अगर अलीपुर जू प्रबंधन द्वारा इस प्रकार का कार्यक्रम शुरू किया जाता है, तो यह जानवरों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. विदेशों में स्थित चिड़ियाघरों में इस प्रकार की सुविधा है. इससे किसी भी जानवर को चिड़ियाखाना में रखने में आर्थिक तंगी नहीं आती है.
ज्ञात हो कि जानवरों को कोई भी व्यक्ति या कंपनी गोद ले सकती है. इससे जानवरों के संरक्षण सही तरीके से होगा. साथ ही सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी. कार्यक्रम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति या कंपनी को जानवरों को गोद लेने के लिए एक निश्चित राशि अलीपुर प्रबंधन के पास जमा करनी होगी, इस राशि को इसी जानवर के खाने व स्वास्थ्य सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने पर खर्च किया जायेगा.
हालांकि जानवरों को उनके पिंजड़े से बाहर निकालने की अनुमति नहीं दी जायेगी. जानवर को गोद लेनेवालों को उसका फिल्म बनाने की अनुमति दी जायेगी. किसी भी शर्त पर जानवर को पिंजड़े के बाहर नहीं निकाला जा सकता है और इस नियम को सख्ती से पालन करना होगा. लोग समझते हैं कि वह इनको ले जा सकते हैं, लेकिन यहां यह नियम लागू नहीं होता. हाथी को गोद लेने के लिए तीन-चार लाख रुपये व रॉयल बंगाल को टाइगर को गोद लेने के लिए ढाई से तीन लाख रुपये व जिराफ के लिए डेढ़ लाख रुपये चुकाने होंगे. इस योजना के तहत गोद लेनेवाले लोगों को जानवरों के साथ नजदीक से बात करने की अनुमति दी जा सकती है, साथ ही उनको फ्री एंट्री पास भी प्रदान किया जायेगा.
मिली जानकारी के अनुसार, कई लोग चिड़ियाखाना में रहनेवाले आठ बाघ को गोद लेना चाहते हैं. इस संबंध में अलीपुर जू के कार्यकारी निदेशक वीके यादव ने बताया कि इंफोसिस के चेयरमैन एनआर नारायणमूर्ति व अंबुजा नेवटिया ग्रुप के चेयरमैन हर्षवर्धन नेवटिया भी एक-एक जानवर गोद लेने का फैसला किया है, जबकि पैटन ग्रुप के संजय बुधिया ने एक रायनो को पहले ही गोद ले लिया है.