UP VIRAL AUDIO: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में पुलिस महकमे की साख पर उस वक्त सवाल खड़े हो गए जब मुसाफिरखाना कोतवाली में तैनात एक सब इंस्पेक्टर का कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस ऑडियो में दरोगा और एक स्थानीय युवक (जो पुलिस का मुखबिर बताया जा रहा है) के बीच एक खतरनाक साजिश की बातचीत सामने आई है. बातचीत में अवैध हथियार की व्यवस्था कर एक निर्दोष युवक को झूठे मुकदमे में फंसाने की योजना बनाई जा रही है.हालांकि प्रभात खबर इस वायरल ऑडियो की पुष्टि नहीं करता.
ऑडियो में साफ सुनाई देता है जुर्म का ब्लूप्रिंट
वायरल ऑडियो में दरोगा कथित रूप से कहता है, “315 का जुगाड़ करो… पैसे मुझसे ले लेना, एक-दो घंटे में चाहिए. पंडित जी को बुक करना है।” इसके अलावा वह व्यक्ति को रात में ही जेल भेजने की बात करता है और तमंचे के बदले एडवांस में पैसे देने की बात भी सामने आती है.
सूत्रों के अनुसार यह घटना 7 मई की है, जब कथित तौर पर एक युवक को थाने बुलाकर उस पर अवैध हथियार रखने का झूठा आरोप लगाने की योजना बनाई गई थी. बातचीत में शामिल युवक स्थानीय स्तर पर पुलिस का सहयोगी अथवा मुखबिर बताया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर मचा बवाल, जनता में आक्रोश
ऑडियो के वायरल होते ही यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है. सोशल मीडिया पर लोग पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. आम जनता में नाराजगी साफ देखी जा रही है और लोग पूछ रहे हैं कि जब कानून की रखवाली करने वाले ही साजिशकर्ता बन जाएं, तो इंसाफ कहां मिलेगा?
समाजवादी पार्टी ने पुलिस पर साधा निशाना
इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी ने भी मोर्चा खोल दिया है. पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से वायरल ऑडियो साझा करते हुए लिखा कि पुलिस का इस्तेमाल राजनीतिक और निजी दुश्मनी निभाने के लिए किया जा रहा है. सपा ने यूपी सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पुलिस प्रशासन ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र कुमार सिंह ने बयान जारी कर कहा, “वायरल ऑडियो को संज्ञान में लिया गया है. इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी. जांच के उपरांत जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.”
क्या पुलिस व्यवस्था में होगा सुधार या मामला दब जाएगा?
इस पूरे मामले ने एक बार फिर पुलिस विभाग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यदि जांच में ऑडियो की सत्यता साबित होती है, तो यह न सिर्फ कानून का मजाक है बल्कि आम जनता की सुरक्षा और विश्वास को गहरी चोट है.
अब देखना यह होगा कि क्या यह मामला सिर्फ सोशल मीडिया की बहस बनकर रह जाएगा या फिर दोषियों के खिलाफ वास्तव में कोई कड़ी कार्रवाई होगी. जनता अब इस प्रकरण में निष्पक्ष न्याय की उम्मीद लगाए बैठी है.