UP NEWS: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश की गिरती हुई सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में यूपी के सरकारी स्कूलों में नामांकन की संख्या में करीब 22 लाख की गिरावट दर्ज की गई है, जो बेहद गंभीर और चिंताजनक है. यह गिरावट न केवल बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं को भी उजागर करती है.
निजीकरण को बढ़ावा देकर सरकार ने शिक्षा को किया कमजोर
मायावती ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार शिक्षा के क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है. इसका खामियाजा गरीब, दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जिनके पास निजी स्कूलों की भारी-भरकम फीस चुकाने की क्षमता नहीं है, वे सरकारी स्कूलों की ओर रुख करते हैं. लेकिन जब सरकारी स्कूलों की स्थिति जर्जर हो जाती है, तो ये वर्ग शिक्षा से ही वंचित रह जाते हैं.
मदरसों को शक की नजर से देखना बंद करे सरकार
मायावती ने राज्य में चल रहे मदरसों के मुद्दे पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार को मदरसों को संदेह की दृष्टि से देखना बंद करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि मदरसों को बेहतर शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित किया जाए और वहां पढ़ने वाले छात्रों को आधुनिक और तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ा जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार वास्तव में ‘सबका साथ, सबका विकास’ चाहती है, तो उसे मुस्लिम समाज के शैक्षणिक संस्थानों के प्रति भी संवेदनशील और सकारात्मक रुख अपनाना होगा.
गिरते दाखिलों के पीछे शिक्षक भर्ती और आधारभूत संरचना की कमी
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, जर्जर भवन, मूलभूत सुविधाओं का अभाव और अनियमित शिक्षण प्रणाली इसके पीछे बड़ी वजह हैं. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए.
गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
मायावती ने कहा कि शिक्षा के इस गिरते स्तर से सबसे ज्यादा नुकसान समाज के कमजोर वर्गों को हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर इन तबकों के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं तो सामाजिक और आर्थिक असमानता और बढ़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति संविधान में दिए गए समान अवसर के अधिकार के भी खिलाफ है.
सरकार से शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की अपील
मायावती ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की कि वह शिक्षा क्षेत्र को अपनी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखे. उन्होंने कहा कि केवल नारेबाज़ी और कागज़ी योजनाओं से बदलाव नहीं आएगा. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा. उन्होंने सुझाव दिया कि सभी सरकारी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नियुक्त किए जाएं, स्कूलों की इमारतें और शौचालय, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सुधारी जाएं,और गरीब बच्चों के लिए मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और स्कॉलरशिप जैसी योजनाओं को और प्रभावी तरीके से लागू किया जाए.
‘डबल इंजन’ सरकार को दी हकीकत से जुड़ने की सलाह
अंत में मायावती ने केंद्र और राज्य की ‘डबल इंजन’ सरकार को हकीकत से जुड़ने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि शिक्षा की अनदेखी कर कोई भी देश या राज्य तरक्की नहीं कर सकता. सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा को निवेश नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का मूल आधार समझे. मायावती की यह टिप्पणी न सिर्फ राज्य की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई को उजागर करती है, बल्कि सरकार को एक चेतावनी भी देती है कि यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है.