UP CRIME: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट के तहत की जा रही कार्रवाई में कानून और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की अनदेखी को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने पाया कि गैंग चार्ट तैयार करते समय न तो एक्ट के प्रावधानों का ठीक से पालन किया गया और न ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का.
याची की आपत्ति पर कोर्ट ने दिया सख्त निर्देश
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने कौशाम्बी जिले के करारी थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में आरोपी विनय कुमार गुप्ता व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने यह तर्क दिया कि गैंग चार्ट तैयार करते समय कानूनी प्रक्रियाओं की अवहेलना की गई है और अभियुक्तों की आपराधिक प्रवृत्ति स्पष्ट नहीं की गई.
गंभीर लापरवाही पर कोर्ट का कड़ा रुख
कोर्ट ने माना कि गैंग चार्ट तैयार करने में गंभीर लापरवाही बरती गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न केवल कानून की धाराओं का उल्लंघन हुआ है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की भी अनदेखी की गई है.
सरकार को सभी जिलों के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का निर्देश
गंभीर रुख अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह गैंगस्टर एक्ट के तहत की जाने वाली कार्रवाई की प्रक्रिया को लेकर सभी जिलाधिकारियों (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को विधिवत प्रशिक्षण देने की ठोस कार्ययोजना बनाए और जल्द लागू करे. कोर्ट ने यह भी कहा कि गैंगस्टर एक्ट के तहत की जाने वाली कार्रवाई बेहद संवेदनशील होती है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की कानूनी चूक बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
नियमों की अनदेखी पर लगाम लगाने की कवायद
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय राज्य में कानून के दुरुपयोग को रोकने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. अब यह सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वह जल्द से जल्द अधिकारियों को प्रशिक्षित कर सुनिश्चित करे कि भविष्य में गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों का सख्ती से पालन हो.