PRAYAGRAJ NEWS: एक ओर जहां प्रयागराज को धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर यहां के मुक्तिधाम (श्मशान घाटों) की बदहाल स्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है. अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण कार्य के दौरान परिजनों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
शहर के कई श्मशान घाटों पर जलाने के लिए पर्याप्त लकड़ी की व्यवस्था नहीं होती. जहां लकड़ी मिलती भी है, वहां कीमतें मनमानी रूप से लिया जाता है. इसके अलावा, शुद्ध पानी, शौचालय, और बैठने की व्यवस्था तक नहीं होती, जिससे परिजनों को अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
विद्युत शवदाह गृह भी पड़े हैं जर्जर
कुछ स्थानों पर विद्युत शवदाह गृह तो बनाए गए हैं, लेकिन या तो वे खराब पड़े हैं या फिर संचालन के लिए जरूरी कर्मचारी नहीं हैं. कई बार तकनीकी खराबी के चलते परिजनों को मजबूरन पारंपरिक विधि से ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है.
साफ-सफाई और सुरक्षा का संकट
कई श्मशान घाटों पर साफ-सफाई की स्थिति दयनीय है. गंदगी और दुर्गंध के कारण वहां लोगों का बैठना भी मुश्किल हो जाता है. रात के समय में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती, जिससे महिलाओं और बुजुर्गों को काफी असुविधा होती है.यह मुद्दे कई बार शहर के लोग उठाते हैं लेकिन लोगों की बातें सुनने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं होता.
प्रयागराज के स्थानीय नागरिकों की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि नगर निगम को श्मशान घाटों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. सुझावों में लकड़ी की उचित दामों में उचित व्यवस्था, स्वच्छता, गर्मी में पीने के लिए शीतल जल की उपलब्धता, बैठने की व्यवस्था, प्रकाश और सुरक्षा व्यवस्था शामिल हैं.
प्रयागराज प्रशासन की चुप्पी
बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. प्रयागराज के लोग यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कम से कम शव के अंतिम यात्रा को गरिमा और सम्मान के साथ पूरा करने के लिए जरूरी कदम नगर निगम द्वारा जल्द उठाए जाएंगे. लेकिन देखना यह है कि आखिर कब तक प्रयागराज नगर निगम के लापरवाह अधिकारी इन समस्याओं को दरकिनार करते हुए मौन बैठे रहेंगे.