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यूपी निकाय चुनाव: लखनऊ नगर निगम में 36.97 प्रतिशत मतदान, मतदाताओं में नहीं दिखा जोश, 2017 से भी कम हुई वोटिंग

UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में पहले चरण के मतदान में लखनऊ नगर निगम में 36.97 प्रतिशत वोटिंग हुई. लखनऊ में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. कहीं किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई. हालांकि मतदाताओं में जोश नजर नहीं आया.

UP Nikay Chunav 2023: प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर गुरुवार को 37 जनपदों में पहले चरण का मतदान शाम छह बजे संपन्न हो गया. राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक इनमें लखनऊ जनपद में 38.62 प्रतिशत और लखनऊ नगर निगम में 36.97 प्रतिशत मतदाता अपने घरों से बाहर निकले.

लखनऊ नगर निगम में सुबह 9 बजे तक 5.66 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके बाद पूर्वाह्न 11 बजे तक 13.07 प्रतिशत, अपराह्न 1 बजे तक 21.96, 3 बजे तक 29.26, शाम 5 बजे तक 34.42 प्रतिशत और शाम 6 बजे तक 36.97 प्रतिशत मतदान संपन्न हुआ.

इससे पहले 2017 में हुए पिछले निकाय चुनाव में लखनऊ में 38.64 प्रतिशत मतदान हुआ था. तब शहर में सबसे ज्यादा 49.50 प्रतिशत वोटिंग राजा बिजली पासी प्रथम वार्ड में हुई थी, जबकि सबसे कम 28.12 प्रतिशत मतदान जेसी बोस वार्ड में हुआ था.

लखनऊ में दूसरी बार शहर की सत्ता महिला के हाथों में

निकाय चुनाव में लखनऊ मेयर पद के लिए भाजपा ने सुषमा खर्कवाल और सपा ने वंदना मिश्रा को टिकट दिया. तो कांग्रेस से संगीता जायसवाल, बसपा से शाहीन बानो और आम आदमी पार्टी से अंजू भट्ट को मेयर पद के लिए प्रत्याशी बनाया गया. लखनऊ को चुनाव परिणाम आने के बाद एक बार फिर दूसरी महिला मेयर मिलेंगी.

2017 में संयुक्ता भाटिया ने जीत की थी दर्ज

इससे पहले 2017 में राजधानी लखनऊ में भाजपा प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज की थी. वह लखनऊ के सौ वर्ष के इतिहास में पहली महिला मेयर थीं. उनके मुकाबले में दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी की मीरा वर्धन थीं. इसके बाद तीसरे स्थान पर बहुजन समाजवादी पार्टी की बुलबुल गोडियाल और चौथे स्थान पर कांग्रेस की प्रेमा अवस्थी थीं.

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राजकुमार श्रीवास्तव ने सबसे पहले संभाली शहर की कमान

लखनऊ नगर निगम में मेयर बात करें तो सबसे पहले राजकुमार श्रीवास्तव 1 फरवरी 1960 से 1 फरवरी 1961 तक मेयर रहे. इसके बाद गिरिराज धरणा रस्तोगी 2 फरवरी 1961 से 1 मई 1962 तक, डॉक्टर पुरुषोत्तम दास कपूर 2 मई 1962 से 1 मई 1963 तक और फिर 2 मई 1963 से 1 मई 1964 तक महापौर रहे.

इन्हें भी मिला शहर के प्रथम नागरिक बनने का मौका

इसके बाद कैप्टन वीआर इन मोहन (एमएलसी) 2 मई 1964 से 1 मई 1965 तक, ओम नारायण बंसल 2 मई 1965 से 31 जून 1965 तक, डॉक्टर मदन मोहन सिंह सिद्धू 4 जुलाई 1968 से 30 जून 1969 तक, बालकराम वैश्य 1 जुलाई से 1969 से 30 जून 1970 तक और बेनी प्रसाद हलवासिया 1 जुलाई 1970 से 30 जून 1971 तक मेयर रहे.

डॉ. एससी राय का लंबा रहा कार्यकाल

इसके बाद डॉ. दाऊजी गुप्त 5 जुलाई 1971 से 30 जून 1972 तक फिर 1 जुलाई 1972 से 30 जून 1973 तक, फिर 26 अगस्त 1989 से 27 मई 1992 तक लखनऊ के मेयर रहे. वहीं अखिलेश दास 13 मई 1993 से 30 नवंबर 1995 तक मेयर रहे. इसके बाद अटल बिहार वाजपेयी के करीबी डॉ. एससी राय 1 दिसंबर 1995 से 30 नवंबर 2000 तक, फिर 1 दिसंबर 2000 से 21 नवंबर 2002 तक, फिर 21 नवंबर 2002 से 13 फरवरी 2006 तक लखनऊ के महापौर रहे.

दिनेश शर्मा पर जनता ने दो बार जताया विश्वास

इसके बाद डॉ. दिनेश शर्मा 14 नवंबर 2006 से 23 फरवरी 2011 तक फिर 14 जुलाई 2012 से 19 मार्च 2017 तक मेयर रहे. सुरेश चंद्र अवस्थी ने कार्यवाहक के तौर पर 24 मार्च 2017 से 11 अगस्त 2017 तक काम संभाला. इसके बाद 11 अगस्त 2017 से 12 दिसंबर 2017 तक प्रशासक कार्यकाल रहा. फिर संयुक्ता भाटिया 12 दिसंबर 2017 से 19 जनवरी 23 तक लखनऊ की मेयर रहीं.

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