LUCKNOW: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पहल की है. सरकार ने 2027 तक पूरे उत्तर प्रदेश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने का संकल्प लिया है. यह अभियान न केवल बच्चों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि उन्हें शिक्षा और सुरक्षित बचपन का अवसर भी प्रदान करेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल समाज में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखने की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है.
निर्णायक अभियान की शुरुआत
राज्य सरकार ने यह अभियान विभिन्न विभागों, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और आम जनता के सहयोग से प्रारंभ किया है. सरकार की योजना है कि चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में बाल श्रम के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा, जिसमें न केवल बाल श्रमिकों की पहचान की जाएगी, बल्कि उन्हें पुनर्वासित कर शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जोड़ा जाएगा.
राज्य के श्रम एवं सेवायोजन विभाग को इस अभियान की निगरानी और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. विभाग द्वारा एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो जिलावार बाल श्रम उन्मूलन की कार्ययोजना तैयार कर रही है. इसके तहत हर जिले में सर्वेक्षण कर बाल श्रमिकों की पहचान की जाएगी और उनके परिवारों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कर उन्हें सहायता दी जाएगी.
शिक्षा और पुनर्वास पर जोर
बाल श्रम की जड़ गरीबी और शिक्षा की कमी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दो मुख्य कारणों को ध्यान में रखते हुए एक समग्र नीति तैयार की है. बाल श्रमिकों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऐसे बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, पाठ्यपुस्तकें, पोषण युक्त भोजन (मिड-डे मील), यूनिफॉर्म और वजीफा दिया जा रहा है.
साथ ही, उनके माता-पिता और अभिभावकों को भी आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिससे वे अपने बच्चों को मजदूरी के लिए भेजने के बजाय स्कूल भेजने को प्राथमिकता दें. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और सामाजिक कल्याण विभाग के सहयोग से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

सख्त कानूनी कार्रवाई
सरकार ने बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कानूनों को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है. जो भी व्यक्ति या संस्था बाल श्रमिकों को रोजगार देता हुआ पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके तहत आर्थिक दंड, जेल की सजा और व्यापारिक प्रतिष्ठान के लाइसेंस रद्द किए जाने जैसी सजा का प्रावधान किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि “बचपन को बोझ नहीं, अवसर बनाना हमारी प्राथमिकता है. उत्तर प्रदेश के किसी भी कोने में अगर कोई बच्चा मजदूरी करता पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी.”
जनजागरूकता और सामाजिक सहभागिता
बाल श्रम को खत्म करने के लिए सरकार केवल कानूनों पर निर्भर नहीं है, बल्कि जनजागरूकता को भी उतना ही महत्व दे रही है. इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों और शहरी निकायों में रैलियों, नुक्कड़ नाटकों, पोस्टर, पंपलेट और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को यह बताया जा रहा है कि बाल श्रम एक अपराध है और बच्चों को मजदूरी से हटाकर शिक्षा देना ही समाज की सच्ची सेवा है.
इसके अलावा, बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को भी इस अभियान में शामिल किया गया है. इन संगठनों के माध्यम से उन क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं जहाँ बाल श्रम की समस्या अधिक गंभीर है.
2027 तक बाल श्रम मुक्त उत्तर प्रदेश का सपना
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह तय किया है कि 2027 तक राज्य को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा. इसके लिए न केवल नीति और कानून को मजबूत किया जा रहा है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जगाया जा रहा है. यह प्रयास केवल एक सरकारी मिशन नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है. अगर यह संकल्प सफल होता है, तो यह उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा. बच्चों का बचपन सुरक्षित होगा, शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और भविष्य की पीढ़ी मजबूत बनकर उभरेगी.
योगी आदित्यनाथ सरकार की यह पहल न केवल सराहनीय है, बल्कि एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है जो भविष्य में करोड़ों बच्चों के जीवन को बदल सकता है. बाल श्रम के विरुद्ध यह निर्णायक लड़ाई उत्तर प्रदेश को एक नए युग में ले जाने का वादा करती है एक ऐसे युग में जहाँ हर बच्चा स्कूल जाए, पढ़े, खेले और मुस्कुराए.