Chaitra Navratri 2023 Date and Time: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो चुकी है. चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. आज के दिन चंद्रघंटा माता की पूजा अर्चना होगी. वहीं नवरात्रि 30 मार्च 2023 को नवमी को समाप्त होगी. चैत्र नवरात्रि की नवमी पर राम नवमी का त्योहार भी मनाया जाता है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है. आइए यहां जानते हैं चैत्र नवरात्रि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी...
चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. आज का दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है. आज के दिन मिथुन, सिंह, कन्या, तुला राशियों पर मां चंद्रघंटा की कृपा बरसेगी.
आज यानी 24 मार्च को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. यह दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है. इस दिन मां चंद्रघंटा शेर पर सवार होकर आती हैं. मां की 10 हाथों में कमल और कमंडल के साथ अस्त्र-शस्त्र हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ में आज मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लाइन लगी हुई है.
चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. भक्त मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी तरह के जतन कर रहे हैं. चैत्र नवरात्रि में लाल रंग का गुड़हल का फूल, हरसिंगार का फूल, शंखपुष्पी का पौधा और तुलसी का पौधा लगाकर आप अपनी किस्मत चमका सकते हैं.
चैत्र नवरात्रि में नौ कन्याओं को मां दुर्गा का अलग-अलग रूप मानकर पूजा जाता है. कन्या पूजन अष्टमी और नवमी के दिन किए जाते हैं. चैत्र नवरात्रि के अष्टमी को महा अष्टमी और दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं. कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल की उम्र की कन्याओं को पहले घर आने का निमंत्रण दिया जाता है.
चैत्र नवरात्रि के आज दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का है. मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री से बनी भोग बेहद पसंद है. आइए जानते हैं नवरात्रि पर प्रसाद कैसे बनाएं.
मां ब्रह्मचारिणी को मीठा काफी पसंद है. इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत भोग लगाएं. इसके लिए गाय के कच्चे दूध में चीनी, तुलसी, शहद को मिला लें.
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाए हाथ में कमंडल है. शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया. महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का खास महत्व है. आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की अवतार की पूजा की जाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. जो भक्त आज के दिन एकाग्र मन से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है माता रानी का आशीर्वाद उस पर बना रहता है.
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो चुका है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है और यह दिन मां ब्रह्मचारिणी का है. मेष राशि वालों पर शुक्रवार को माता रानी की कृपा बरसेगी .मेष राशि के लोगों को आज नौकरी में परिवर्तन और स्थान परिवर्तन हो सकता है.
मिथुन राशि वालों पर आज ब्रह्मचारिणी की कृपा रहेगी. करियर और शिक्षा के क्षेत्र में मिथुन क जातकों को सफलता मिलेगी.
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो चुका है. आज यानी 23 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. ब्रह्मचारी ब्रह्मचारिणी माता जी की पूजा के अनेकों फायदे हैं. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के फायदे.
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से आपको कठिन से कठिन कार्य में सफलता मिलेगी.
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से सभी मनोकामना पूरी होगी.
आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. यह दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सती के आत्मदाह करने के बाद माता पार्वती ने जन्म लिया. मां पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के लिए हजारों साल तक कठोर तपस्या की. उस दौरान माता जी ब्रह्मचर्य, त्याग और तपस्या वाली देवी थीं. उनका वह स्वरूप ही मां ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. मां पार्वती के ब्रह्मचर्य स्वरूप को ब्रह्मचारिणी मां कहा जाता है.
चैत्र नवरात्रि का आज यानी 23 मार्च को दूसरा दिन है. आज का दिन मां ब्रह्मचारिणी का है. ऐसे में देवी मां ब्रह्मचारिणी को भोग क्या लगाए आइए जानते हैं. देवी मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाने के लिए सबसे सबसे उत्तम चीनी और पंचामृत है. ऐसे में आपको पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने के लिए चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि एक दिन पहले रात 8:20 मिनट पर शुरू हो जाएगी. आप मां का पूजन 23 मार्च रात 6:20 तक कर सकते हैं. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:22 मिनट से लेकर 7:54 तक रहेगा.
नवरात्रि के दौरान व्रत रखा जाता है. इस दौरान व्रत रसोपवास, फलोपवास, दुग्धोपवास, लघु उपवास, अधोपवास और पूर्णोपवास किया जा सकता है. कुछ लोग उपवास के दौरान खिचड़ी खाते हैं तो कुछ सेंधा नमकयुक्त भोजन करते हैं. वहीं कुछ फलाहार भी करते हैं तो कुछ केवल दूध और जल आदि ग्रहण करते हैं. जिनकी जैसी क्षमता होती है वे वैसा उपवास करते हैं.
मां शैलपुत्री को घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या पंचामृत से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
मां चंद्रघंटा को दूध से बनी खीर का भोग लगाएं.
मां कूष्मांडा को मालपुरा का भोग लगाएं.
मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.
मां कात्यायनी को शहद और मीठा पान का भोग लगाएं.
मां कालरात्रि को गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
मां महागौरी को नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
मां सिद्धिदात्री को चना हलवा पुड़ी और खीर का भोग लगाएं.
आज चैत्र नवरात्र का पहला दिन है. ऐसे में व्रत के समय बार-बार पानी पीने से बचना चाहिए.
व्रत के समय गुटका, तंबाकू और मसाला खाना खाने से बचना चाहिए.
व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
व्रत रखने वाले व्यक्ति को अपनी भावनाओं को भावनाओं पर काबू रखना चाहिए.
व्रत रखने वाले व्यक्ति झूठ बोलने और दूसरे की बुराई करने से बचना चाहिए.
आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. चैत्र नवरात्रि बेहद खास है. पहला दिन मां शैलपुत्री का है. आइए जानते हैं कौन हैं मां शैलपुत्री.
मां शैलपुत्री शैलराज हिमालय पर्वत की पुत्री हैं. इसलिए माता को मां शैलपुत्री कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शैलपुत्री पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी और दक्ष की पुत्री थी. एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया. जहां उन्होंने सभी देवी देवताओं को निमंत्रित किया. लेकिन भगवान शंकर को नहीं बुलाया. मां सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल थी. सती के आगे भोलेनाथ ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी. जब सती भगवान शिव के साथ अपने मायके पहुंची, तो वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. इससे सती दुखी हो गईं. अपने पति के अपमान मां सती सह नहीं सकी और अग्नि में खुद को जलाकर भस्म कर लिया. मां सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म ली. जिन्हें शैलपुत्री कहा गया.
आज चैत्र नवरात्रि का पहला दिन शुरू हो चुका है.और समापन 30 मार्च 2023 गुरुवार को होगा। माता रानी को सबसे ज्यादा ये मंत्र प्रिय हैं.
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
आज से चैत्र नवरात्र का आगाज हो चुका है. ऐसे में चैत्र नवरात्रि के पूरे दिन क्या करना चाहिए आइए जानते हैं.
चैत्र नवरात्रि के पूरे दिन घर पर 9 दिन तक मां दुर्गा के नाम के अखंड ज्योति जरूर रखना चाहिए.
नवरात्रि के दिन देवी मां की प्रतिमा के साथ मां लक्ष्मी देवी सरस्वती और गणेश की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए और पूरे 9 दिन पूजा करें.
आज यानी 22 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन शुरू हो गया है. ऐसे में घर में धन की प्राप्ति के लिए चेत्र नवरात्रि के दिन क्या करना चाहिए आइए जानते हैं.
चैत्र नवरात्रि के दिन हर 9 दिन माता रानी को पान का बीड़ा अर्पित करें ,साथ ही अखंड दीपक जलाएं.
धन की प्राप्ति के लिए पांच प्रकार के सूखे मेवे माता रानी को अर्पित करें.
चैत्र नवरात्रि में पूरे 9 दिन माता रानी को सिंदूर अवश्य चढ़ाएं
आज चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है. पहले दिन सभी लोग व्रत रहते हैं व्रत के कुछ नियम है जो इस प्रकार है.
व्रत रखने वाले को बेड पर सोने के बजाय जमीन पर सोना चाहिए. अगर आप जमीन पर नहीं सो पा रहे हैं तो लकड़ी के तख्त पर सोए.
चैत्र नवरात्रि व्रत के नियम व्रत रखने वाले को आज के दिन अधिक भोजन नहीं करना चाहिए. कोशिश करें सेंधा नमक भी ना खाएं. व्रत करने वाले आज केवल फल का सेवन करें.
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री दुर्गा के नौ रूपों में पहला रूप हैं. आज के दिन माता रानी को खुश करने के लिए ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ मंत्र का जाप करना चाहिए
पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है. आसन लाल रंग का ऊनी होना चाहिए. घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी, मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें. नौ दिनों तक माता का व्रत रखें. अगर शक्ति न हो तो पहले,चौथे, आठवें दिन का उपवास करें.
चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन 22 मार्च 2023 - प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन 23 मार्च 2023 - द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन 24 मार्च 2023 - तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
चैत्र नवरात्रि चौथा दिन 25 मार्च 2023 - चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन 26 मार्च 2023 - पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
चैत्र नवरात्रि छठा दिन 27 मार्च 2023 - षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
चैत्र नवरात्रि सातवां दिन 28 मार्च 2023 - सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
चैत्र नवरात्रि आठवां दिन 29 मार्च 2023 - अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
चैत्र नवरात्रि नवां दिन 30 मार्च 2023 - नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी
पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 की रात 10 बजकर 52 मिनट से आरंभ हुई.
अगले दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार की रात 8 बजकर 20 मिनट पर इसका समापन होगा.
उदयातिथि के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हुई.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च 2023 को घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक है.
पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है. आसन लाल रंग का ऊनी होना चाहिए. घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी, मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें. नौ दिनों तक माता का व्रत रखें. अगर शक्ति न हो तो पहले,चौथे, आठवें दिन का उपवास करें.
चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना की जाती है. इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. इस साल नवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है. क्योंकि मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आ रही हैं जो शुभता का प्रतीक है. हालांकि इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत पंचक में होगी.
चैत्र नवरात्रि आज यानी 22 मार्च से शुरू हो जाएगी. नवरात्रि में नौ दिनों तक दाढ़ी-मूंछ बनवाना, बाल या नाखून काटना शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए नवरात्रि शुरू होने से पहले ही ये सारे जरूरी कार्य निपटा लेने चाहिए और तामसिक भोजन हटाकर नवरात्रि के दिन सात्विकता का पालन करना चाहिए.
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