लखनऊ : भारत में चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठने का मामला कोई नया नहीं है. यहां के ज्यादातर सरकारी अस्पताल बदहाल हैं और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मऊ में एक नया मामला प्रकाश में आया है. मऊ के जिला अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में स्वीपर (सफाइकर्मी) चिकित्सकों का काम कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के एक वीडियो में यह साफ दिख रहा है.
वीडियो में देखें तो एक सफाइकर्मी इमरजेंसी वार्ड में मरीज को ड्रीप लगाते देखे जा सकते हैं. इतना ही नहीं डाक्टरों की गैरमौजूदगी में ये सफाइकर्मी मरीजों को इंजेक्शन आदि भी लगाते हैं. पत्रकार ने मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने इसे सीरे से खारिज कर दिया.
मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (सीएमओ) ने कहा कि स्वीपर अपना काम करते हैं और फार्मासिस्ट अपना काम करते हैं. आकस्मिक वार्ड में फर्स्ट एड से लेकर मरीजों को दवाइयां और ड्रीप लगाने का काम फार्मासिस्ट करते हैं. स्वीपर केवल वार्ड में सफाई का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे यहां कोई भी स्वीपर फार्मासिस्ट का काम नहीं करता है.
सीएमओ ने कहा कि हमने सभी वार्ड में कुछ प्रशिक्षित वार्ड ब्वाय या नर्सें रखी हैं. मैं खुद भी इमरजेंसी वार्ड में दौरा करता हूं. कभी भी इस प्रकार की शिकायत नहीं मिली है. सीएमओ की दलील के बाद भी वीडियो कुछ और बयां करती है. योगी आदित्यनाथ का यूपी के सीएम के तौर पर शपथ लेने के बाद से ही यूपी की बदहाली दूर होने की चर्चा है.
योगी जी खुद भी बढ़-चढ़ कर चिकित्सा और सुरक्षा के प्रति अपनी संजीदगी पेश कर रहे हैं. उनके मंत्री भी अस्पतालों और स्कूलों का दौरा कर व्यवस्था में सुधार लाने के प्रयास में लगे हैं. वहीं मऊ के अस्पताल की कहानी कुछ और ही है. ऐसे में मरीजों की जिंदगी के साथ ऐसा खिलवाड़ कहां तक सही है.