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मुलायम अकेले व बेहैसियत हैं, पिता-पुत्र में हो सहमति : अमर सिंह

लखनऊ : समाजवादी पार्टी में सुलह की हर कोशिश विफल हो जा रही है. मीडिया में अमर सिंह द्वारा कुर्बानी देनेपर संशय कायम है औरमुलायमसिंह यादव द्वारा शाम चार बजे की प्रेस कान्फ्रेंस रद्द कर दी गयी है. अमर सिंह ने अखिलेश खेमा पर एक बार फिर निशाना साधते हुए अपनी व्यथा बतायी है. उन्होंने […]

लखनऊ : समाजवादी पार्टी में सुलह की हर कोशिश विफल हो जा रही है. मीडिया में अमर सिंह द्वारा कुर्बानी देनेपर संशय कायम है औरमुलायमसिंह यादव द्वारा शाम चार बजे की प्रेस कान्फ्रेंस रद्द कर दी गयी है. अमर सिंह ने अखिलेश खेमा पर एक बार फिर निशाना साधते हुए अपनी व्यथा बतायी है. उन्होंने कहा है कि मुलायम सिंह अखिलेश के जैविक पिता हैं और उनका लालन-पालन शिवपाल यादव के घर हुआ है, अत: उन्हें उनका जैविक पिता कह सकते हैं. अमर ने कहा कि अखिलेशकालालन-पालन शिवपाल ने कोई निवेश समझ कर नहीं किया. उनका लालन-पालन यह सोच कर नहीं किया गया कि वे एक दिन देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री बनेंगे.

अमर सिंह ने मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि मैं कौन-सा व्यापार करने सूबे में आया हूं. अमर सिंह ने कहा कि उनके एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कहते हैं कि अमर सिंह यहां व्यापार करने आया है. वे बतायें कि क्या मैंने एक कौड़ी का भी ठेका-पट्टा राज्य में लिया है या कोई ट्रांसफर पोस्टिंग करवायी है. उन्होंने कहा कि अखिलेश के एक नेता है, जो राजनाथ सिंह के कैबिनेट में रहे हैं और बीएसपी व कांग्रेस में भी रहे हैं, वे भी अनर्गल बातें कहते हैं. उन पर लगाम लगायी जानी चाहिए.

अमर सिंह ने कहा है कि मुझे पार्टी के एक बड़े नेता भाजपा का एजेंट बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव के दागी अखिलेश के समर्थन में आ गये और अंसारी बंधु भी उनके पक्ष में आकर बेदाग हो गये. अमर सिंह ने कहा कि वे चाहते हैं कि पिता-पुत्र में सहमति बने, फिलहाल मुलायम सिंह यादव अकेले और बेहैसियत हैं. अमर सिंह ने कहा कि उनका आशीर्वाद अखिलेश के साथ है और उन्हें आश्वस्त करते हैं किवेउनके खिलाफ नहीं हैं.

नरेश अग्रवाल ने साधा निशाना

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने आज बिना नाम लिये अमर सिंह पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जब हम राजनीति में आये थे तो कुछ लोग कच्छा पहन घूम रहे थे. नरेश अग्रवाल ने यह भी कहा कि नेताजी को यह समझना चाहिए कि पार्टी के विधायक-सांसद अखिलेश के साथ हैं, इसलिए वे उनका समर्थन करें. उन्होंने कहा कि नेताजी के पास सही बातें नहीं पहुंचने दी जा रही है.

दिन भर में क्या हुआ राजनीतिक घटनाक्रम

अंदरुनी सत्तासंघर्ष और गतिरोध के दौर से गुजर रही समाजवादी पार्टी (सपा) में सुलह-समझौता अब भी दुरुह बना हुआ है. मुलायम सिंह यादव से आज कई दौर की मुलाकात कर चुके शिवपाल सिंह यादव पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात करने उनके आवास पर पहुंचे. पिछले रविवार के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद शिवपाल ने पहली बार अखिलेश से मुलाकात की. माना जा रहा है कि वह समझौते का कोई फार्मूला लेकर पहुंचे थे. बहरहाल, पार्टी का कोई नेता कुछ भी बताने को तैयार नहीं है कि इस बैठक में क्या बात हुई. इस बीच यह खबर है कि मुलायम के दो खास अमर सिंह व शिवपाल उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए कुर्बानी देंगे. अमर सिंह के जहां पार्टी छोड़ने की चर्चा चल रही है, वहीं शिवपाल को चुनाव भर किनारे रहना पड़ सकता है. दरअसल, ऐसे हालात 90 प्रतिशत से अधिक जनप्रतिनिधियों के अखिलेश के प्रति आस्था दिखाने के कारण उत्पन्न हो गये हैं.

सपा में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर नजर रखने वाले सूत्रों का कहना है कि परिवार में झगड़े कीजड़ बताये जा रहे पार्टी महासचिव अमर सिंह सपा से इस्तीफा दे सकते हैं. उन्हें ही इस पूरे विवाद का सूत्रधार बताया जा रहा है. ऐसी भी संभावना जतायी जा रही है कि शिवपाल सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से औपचारिक तौर पर इस्तीफा दे सकते हैं.

अमर सिंह का नाम सुन अखिलेश ने बदला पिता की अगवानी का इरादा

इससे पहले, सपा के दोनों गुटों में उस समय समझौते की उम्मीद जगी थी, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल रात दिल्ली से लौट रहे अपने पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की अगवानी केलिए हवाई अड्डे जाने की योजना बनायी. बहरहाल, जब उन्हें पता लगा कि अमर सिंह भी मुलायम के साथ आ रहे हैं, तो उन्होंने इरादा बदल दिया.

मुलायम के दिल्ली से लौटते ही उनके भाइयों अभयराम यादव और राजपाल यादव ने उनसे मुलाकात करके अखिलेश के साथ जारी गतिरोध दूर करने का आग्रह किया.

तीन बजे चुनाव आयोग जायेंगे रामगोपाल

इस बीच, अखिलेश की हिमायत कर रहे उनके चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया कि सपा के कुल 229 में से 212 विधायकों ने मुख्यमंत्री के पक्ष में शपथपत्रों पर हस्ताक्षर किये हैं जबकि 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 ने तथा 24 संसद सदस्यों में से 15 अखिलेश की हिमायत में हलफनामों पर दस्तखत किये हैं. ये सभी शपथपत्र आज ही चुनाव आयोग को दिये जाएंगे. साथ ही, पांच हजार डेलीगेट्स के शपथपत्र कल आयोग को सौंपे जाएंगे. उन्होंने दोपहर तीन बजे चुनाव आयोग जाने की बात कही है.


साइकिल पर मजबूत दावेदारी

सपा से निष्कासित किये जा चुके रामगोपाल ने कहा कि पार्टी का 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि अखिलेश के नेतृत्व में सपा के साथ हैं. इसलिए उनकी अगुवाई वाले धड़े को ही सपा का चुनाव निशान ‘साइकिल’ दिया जाना चाहिये.

इस बीच, मुख्यमंत्री सत्ता और संगठन पर अपनी पकड़ लगातार बढाते जा रहे हैं. परसों चार बर्खास्त जिलाध्यक्षों को बहाल करने के बाद अखिलेश के निर्देश पर सात जिलों में पार्टी के अध्यक्षों को बदल दिया गया.

अखिलेश ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी परीक्षा होगी. लिहाजा, चुनाव के लिए टिकट वितरण में उन्हें पूरा अधिकार दिया जाना चाहिये. इसकेलिए उन्होंने मुलायम को 403 प्रत्याशियों की एक सूची दी थी, मगर उसकी उपेक्षा किये जाने पर अखिलेश ने बगावती तेवर अपनाते हुए अपने 235 प्रत्याशियों की फेहरिस्त जारी कर दी थी.

मुख्यमंत्री चाहते हैं कि टिकट वितरण में शिवपाल की भूमिका पूरी तरह खत्म हो और अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए. अखिलेश ने कल विधायकों के साथ बैठक में कहा था कि मुलायम उन्हें बस तीन महीने केलिए पार्टी में सारे अधिकार दे दें और वह चुनाव जीतने के बाद उन्हें सब कुछ लौटा देंगे.

मुलायम और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश के गुट सपा के चुनाव निशान ‘साइकिल’ पर अपना दावा जताने केलिए चुनाव आयोग के पास जा चुके हैं. मुलायम और शिवपाल चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने केलिए कल दोबारा दिल्ली गये थे.

ज्ञातव्य है कि पिछले रविवार को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा अमर सिंह को सपा से निष्कासित करने और शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के प्रस्ताव पारित किये गये.

मुलायम ने इस सम्मेलन को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसमें लिए गये सभी फैसलों को अवैध करार दिया था.

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