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यूपी चुनाव : फेल हो रहा राहुल गांधी का किसान कार्ड

!!लखनऊ से राजेन्द्र कुमार!! किसानों का कर्ज माफ करने तथा किसानों की तमाम अन्य समस्याओं के निदान के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को मिले, तो कांग्रेसियों ने दावा किया कि राहुल गांधी और कांग्रेस को ही देश के बदहाल किसानों की चिंता है. कांग्रेस ही किसानों की दिक्कतों को […]

!!लखनऊ से राजेन्द्र कुमार!!

किसानों का कर्ज माफ करने तथा किसानों की तमाम अन्य समस्याओं के निदान के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को मिले, तो कांग्रेसियों ने दावा किया कि राहुल गांधी और कांग्रेस को ही देश के बदहाल किसानों की चिंता है. कांग्रेस ही किसानों की दिक्कतों को देश और प्रदेश में उठा रही है. परंतु उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन की गतिविधियों को देख कर इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं. इस सूबे में राहुल गांधी की किसान यात्रा और खाट सभाएं समाप्त होने के बाद से किसानों को पार्टी से जोड़े रखने के कार्यक्रम या प्रयास ठप हैं. इसकी मुख्य वजह पार्टी के अधिकतर जिम्मेवार नेताओं का संसद में व्यस्त होना है. बड़े नेताओं के संसद में व्यस्त होने की वजह से यूपी में किसानों में पैठ बनाने संबंधी राहुल गांधी का किसान कार्ड फेल हो रहा है.

गौरतलब है कि गत सितंबर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने देवरिया से दिल्ली तक किसान यात्रा की थी. करीब एक माह तक के इस कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने करीब 3500 किलोमीटर की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में 26 खाट सभा, 26 रोड शो और लगभग 700 स्थानों पर कार्यकर्ताओं से संपर्क संवाद कर किसानों की समस्याएं उठायी थीं. राहुल गांधी की इस किसान यात्रा को लेकर कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज सत्यदेव त्रिपाठी का दावा है कि किसानों के हक में आवाज उठाने से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना और कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा. त्रिपाठी के मुताबिक इस यात्रा के दौरान करीब 75 लाख किसानों से मांगपत्र भरवाये गये. इन मांगपत्रों में कांग्रेस सरकार आने पर बिजली बिल आधा करने, कर्ज माफी और समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा किया गया. राहुल की इस किसान यात्रा की अगली कड़ी में राहुल संदेश यात्राएं सूबे में निकाली गयीं, पर इन यात्राओं के दौरान कांग्रेस नेताओं ने सूबे की किसानों की तकलीफों का जिक्र तक नहीं किया. यही नहीं नोटबंदी के बाद किसानों को बीज, खाद हासिल करने में हुई दिक्कतों पर भी स्थानीय नेता किसानों के साथ खड़े नहीं हुए. यूपी में पार्टी के प्रभारी गुलाम नवी आजाद हों या पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजब्बर अथवा राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी और संजय सिंह, सबके सब नेता राज्यसभा में ही हंगामा करते रहे. इनमें से कोई नेता यूपी के किसी गांव में किसानों की समस्याओं को जानने नहीं गया.

यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं के सूबे में न होने के चलते सूबे में किसानों को जोड़ने के लिए बनाया गया विभाग आज वीरान है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के कार्यकाल में भंग किये गये इस किसान विभाग का अभी तक गठन नहीं हो सका है. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को भी किसान विभाग के लिए अब तक संयोजक खोजे नहीं मिला है. किसान विभाग गठित न होने से सूबे में पार्टी की किसानों से जुड़ी गतिविधियां प्रभावी नहीं रह पाती. यही वजह रही कि राहुल गांधी की किसान यात्रा खत्म होने के बाद यूपी के कांग्रेसी नेताओं में किसानों के बीच जाने का अभियान बंद हो गया. नोटबंदी के चलते धान खरीद न होने, आलू की मंदी और गन्ना किसानों का बकाया भुगतान न होने जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की ओर से कोई आंदोलनात्मक कदम नहीं उठाया गया. इसे देखते हुए पार्टी संगठन में ही आपसी चर्चाओं के दौरान अब यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने किसानों की समस्याओं को लेकर यूपी में पार्टी के पक्ष में माहौल गर्माया था, परंतु संगठन की कमजोरी के चलते राहुल गांधी का किसान कार्ड फेल होने के कगार पर पहुंच गया है.

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