लखनऊ : समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव इस प्रयास में हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले सपा परिवार के आंतरिक कलह को मिटा दिया जाये और कोई ऐसा संकेत जनता में ना जाये कि परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है. इसी प्रयास के तहत उन्होंने रामगोपाल यादव का निष्कासन रद्द किया और आज वे पार्टी से निष्कासित नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं. यह बैठक मुलायम के आवास पर हो रही है.
सपा परिवार के झगड़े से पार्टी को नुकसान हुआ
सपा परिवार में जारी झगड़े के कारण सपा के बहुसंख्यक वोटर मुसलमानों में यह संदेश गया कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है और संभवत: उनका हित यहां सुरक्षित नहीं रहेगा. मुसलमानों की इस मन:स्थिति को मायावती ने अच्छी तरह से लपका और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वे दलितों और मुसलमानों को एक मंच पर लाने की मुहिम में जुट गयीं. इस परिदृश्य में बसपा को फायदा होता साफ नजर आ रहा है क्योंकि मुसलमान किसी भी कीमत पर भाजपा के साथ जाने वाले नहीं है और कांग्रेस पर यूपी में बहुत ज्यादा भरोसा नहीं किया जाता सकता है. प्रदेश में मुसलमान मतदाताओं की संख्या 18.26 प्रतिशत है और प्रदेश के 20 जिले ऐसे हैं जहां वे प्रमुख मतदाता हैं. ऐसे इनके वोट का बहुत महत्व है. दलित वोटर प्रदेश में 20.5 प्रतिशत है तो पिछड़ा 40 प्रतिशत जिनमें से 8-9 प्रतिशत यादव हैं, जो सपा के साथ ही रहेंगे. लेकिन अगर मुसलमानों ने साथ छोड़ा, तो परेशानी में आ जायेगी सरकार.
विधानसभा चुनाव पर है नजर
मुलायम के निर्देश के बाद अखिलेश, शिवपाल दोनों ने सार्वजनिक तौर पर विवाद से बचने का निर्णय किया है और वे कह रहे हैं कि सब ठीक है. पार्टी एकजुटता से चुनाव में उतरेगी. रामगोपाल यादव के निष्कासन को रद्द किये जाने के बाद भी शिवपाल ने सिर्फ इतना ही कहा कि नेताजी हमारे सर्वमान्य नेता हैं और उनका हर फैसला मेरे लिए मान्य आदेश है.