लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले एक साल के दौरान दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों का गलत इलाज किये जाने का आरोप लगाते हुए इस मामले की किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराये जाने की मांग की है.
अखिलेश ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 तक तकरीबन 1800 बच्चों के खून की जांच से पता लगा कि वे दिमागी बुखार से पीड़ित थे लेकिन सरकार ने ‘आंकड़े ठीक रखने के लिए’ इस संख्या को मात्र 500 ही बताया.
सपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार की मंशा के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने उन बच्चों के दिमागी बुखार को ‘एक्यूट फीवर इलनेस’ का नाम देकर उन्हें गलत दवा दी. उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी है, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल जनवरी से अक्टूबर तक करीब 1500 बच्चे मर चुके हैं.
अखिलेश ने कहा कि सपा की मांग है कि सरकार की इस घिनौनी साजिश और अमानवीय हरकत की उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी किसी सेवारत न्यायधीश की अगुवाई में डॉक्टरों के एक पैनल से जांच करायी जाए. उन्होंने इस मौके पर उन बच्चों के खून की कथित जांच रिपोर्ट भी पेश की और कहा कि इस जांच से पता लग जाता है कि किस बच्चे को दिमागी बुखार है और किसे नहीं. इसी रिपोर्ट के आधार पर वह यह दावा कर रहे हैं.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में दिमागी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिजन को 25 हजार रुपये और इस रोग के कारण विकलांग हुए बच्चों को 50 हजार रुपये देने की योजना शुरू की थी. वर्ष 2012 में दोबारा सपा की सरकार बनने पर यह सहायता राशि दोगुनी की गयी थी लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वह सहायता बंद कर दी है.