प्राथमिक विद्यालयों से हटाया जायेगा इस्लामिया और मदरसा
हरीश तिवारी@प्रभात खबर
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब सरकारी स्कूलों में आगे से इस्लामिया और मदरसा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. अब जिलों के बीएसए इसका निरीक्षण करेंगे और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे. अभी तक राज्य के पूर्वी जिलों के कई सरकारी स्कूलों इस्लामिया शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी इस तरह के स्कूल चल रहे हैं. अब सरकार इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है.
असल में देवरिया, गोरखपुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में सरकारी स्कूलों में बड़े स्तर पर धर्म के नाम पर स्कूलों का नाम बदलने का खेल कई सालों से चला आ रहा है. इसके साथ ही इन स्कूलों में छुट्टी रविवार के बजाय शुक्रवार को की जाती थी. यह खेल पिछली सरकारों में जमकर चला. हालांकि स्थानीय स्तर पर इसकी शिकायत की गयी थी, लेकिन सरकारी दबाव के कारण इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इन स्कूलों में सरकारी सेलेबस के बजाय उर्दू की पढ़ाई की जाती थी. जबकि यह नियमों के खिलाफ था.
लिहाजा अब योगी सरकार ने इस पर आदेश देते हुए इस तरह के स्कूलों को बंद करने और प्रधानाचार्य और अध्यापकों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा गया. अभी तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही दो दर्जन से ज्यादा स्कूलों में इन नामों का प्रयोग किया जा रहा है. जबकि ये स्कूल सरकारी हैं. अब प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी है. योगी सरकार ने प्रदेशभर में इस्लामिया प्राथमिक विद्यालयों के नाम को अब प्राथमिक विद्यालय करने के निर्देश जारी किये हैं.
इन सभी सरकारी विद्यालयों में अब शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश होने के बजाय अन्य सभी प्राथमिक विद्यालयों की तरह ही रविवार को साप्ताहिक अवकाश होगा. इस्लामिया प्राथमिक विद्यालयों में रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश होने का मामला सबसे पहले देवरिया जिले में सामने आया. सबसे पहले पड़ताल में यह बात सामने आयी कि प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा जिलों में ये इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय हैं. उसके बाद बलिया, गोरखपुर, बाराबंकी, गोंडा समेत कई जिलों में इस तरह से मामले सामने आये.
अब सरकार का आदेश आने के बाद इस्लामिया शब्द हटाकर सिर्फ प्राथमिक विद्यालय लिखने का आदेश दिया गया है. अब स्थानीय स्तर पर प्रशासन जांच कर रहे हैं. जांच के दौरान कागजों और रजिस्टर पर स्कूल का नाम राजकीय प्राथमिक विद्यालय है जबकि स्कूल का बोर्ड इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय के तौर पर लिखा गया है. हालांकि यह मामला सामने के आने के बाद कुछ स्कूलों में अध्यापकों को बदल दिया गया है. कुछ में उनके खिलाफ जांच कर कार्यवाही की जा रही है.