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मोदी के स्वच्छता मिशन की उत्तरप्रदेश में धीमी गति, मुश्किल है दो अक्तूबर तक ओडीएफ बनाना

हरीश तिवारी लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन को प्रदेश की योगी सरकार पलीता लगा रही है. प्रदेश को दो अक्तूबर 2018 तक खुले में शौचमुक्त यानी ओडीएफ किया जाना है. उसके बाद भी प्रदेश के 25 से ज्यादा जिलों में यह अभियान काफी धीमी गति से चल रहा है और शौचालय निर्माण […]

हरीश तिवारी

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन को प्रदेश की योगी सरकार पलीता लगा रही है. प्रदेश को दो अक्तूबर 2018 तक खुले में शौचमुक्त यानी ओडीएफ किया जाना है. उसके बाद भी प्रदेश के 25 से ज्यादा जिलों में यह अभियान काफी धीमी गति से चल रहा है और शौचालय निर्माण और ओडीएफ होने की प्रक्रिया भी धीमी है.

केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का जिम्मा प्रदेश में पंचायती राज विभाग के पास है. केंद्र सरकार ने पूरे देश को 31 दिसंबर 2018 तक ओडीएफ करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन केंद्र सरकार को खुश करने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने इसकी सीमा प्रदेश में घटाकर दो अक्तूबर 2018 कर दी. जबकि प्रदेश सरकार के पास संसाधनों का टोटा है. हालांकि कई जिलों में बेहतर काम भी हुआ है और स्थानीय स्तर पर नागरिकों को जागरूक किया गया है, जिसके कारण लोग खुले में शौच नहीं जा रहे हैं और घरों में बने शौचालय का ही प्रयोग कर रहे हैं.

हालांकि अभी तक आठ जिलों, 48 विकास खंडों के साथ लगभग बीस हजार गांवों को खुले में शौचमुक्त हो चुके हैं. ओडीएफ होने वाले जिलों में हापुड़, शामली, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बागपत, मेरठ व मुजफ्फरनगर शामिल हैं. गंगा के किनारे बसे गांवों को सबसे पहले ओडीएफ करने का काम चलाया गया. गंगा के किनारे के 25 जिलों के सभी 1605 गांवों को ओडीएफ कर दिया गया है. जबकि प्रदेश की राजधानी भी पूरी तरफ से ओडीएफ नहीं हुई है. फिलहाल विभाग ने ऐसे 25 जिले चिह्नित किये हैं, जहां पर स्वच्छता मिशन का यह कार्यक्रम धीमी गति से चल रहा है. इन जिलों में फिरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, फतेहपुर, आजमगढ़ मऊ, बलिया, बस्ती, चित्रकूट, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, सुल्तानपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, महराजगंज, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, संभल, बदायूं व चन्दौली शामिल हैं. यह 25 जिले ऐसे हैं जहां शौचालयों का निर्माण कार्य लक्ष्य से 50 प्रतिशत कम है. बहरहाल अभियान को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने 15 मार्च को उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की थी, लेकिन उसके बाद भी इस अभियान में तेजी नहीं आ पायी है. अब सरकार के सामने समस्या यह है कि कम समय में सभी जिलों को ओडीएफ कैसे किया जाए. लिहाजा ज्यादा जिलों में कागजों में ही ओडीएफ का काम किया जा रहा है, ताकि 2 अक्तूबर तक केंद्र सरकार को इस बारे में रिपोर्ट भेजी जा सके.

Prabhat Khabar Digital Desk
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