Kanpur News: देश का दूसरा स्कूल ऑफ सस्टेनेबल एनर्जी कानपुर में खुलेगा. आईआईटी कानपुर में पूरी तैयारी हो गई है. यहां ग्रीन एनर्जी और जीरो कार्बन उत्सर्जन को लेकर शोध व पढ़ाई होगी, जिसमें विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक व छात्रों की टीम मिलकर रिसर्च करेगी. इसके लिए आईआईटी कानपुर में तैयारी पूरी हो गई है. इससे पहले स्कूल ऑफ सस्टेनेबल एनर्जी आईआईटी मद्रास में चल रहा है. पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी पर काम हो रहा है. हालांकि अभी रिसर्च का क्षेत्र बहुत बड़ा है. इसलिए दुनियाभर में विशेषज्ञों की जरूरत है, जो इस क्षेत्र में रिसर्च कर सकें. इसको ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर शुरुआत कर रहा है. संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रो. एस गणेश के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम सस्टेनेबल एनर्जी का विकल्प विकसित करेगी. उन्होंने बताया कि कई बड़ी कंपनियां ग्रीन एनर्जी पर काम कर रही हैं. जिनको आईआईटी में खुल रहे इस स्कूल का फायदा मिलेगा, क्योंकि पर्यावरण को लेकर वैश्विक स्तर पर सख्ती होना तय है. इसलिए वैज्ञानिक व इंडस्ट्री ग्रीन एनर्जी के लिए प्रयासरत हैं. इस सेक्टर में वैश्विक स्तर पर कामयाबी के अच्छे अवसर भी हैं.आईआईटी कानपुर पहले ही कानपुर न्यूट्रल संस्थान बनने की तैयारी कर रहा है. संस्थान के वैज्ञानिक कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने का विकल्प तलाश रहे हैं. इस स्कूल से संस्थान का यह लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी.
आईआईटी में चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च करेगा यूके
आईआईटी कानपुर में यूके के वैज्ञानिक चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च करेंगे. वे डिजिटल मेडिसिन, बायोमेडिकल साइंस के साथ ट्रांसलेशनल फॉर्माकोलॉजी के क्षेत्र में नए रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार करेंगे और मिलकर शोध करेंगे. यह रिसर्च संस्थान में बने गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में होगी.स्कूल में जल्द मेडिकल की पढ़ाई भी शुरू होगी.आईआईटी कानपुर और यूके स्थित ग्लासगो विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता हुआ है.
स्कॉटलैंड स्थित ग्लासगो विश्वविद्यालय में डिप्टी वाइस चांसलर रचेल सेंडिसन और आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक व स्कूल के प्रभारी प्रो. संदीप वर्मा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया. प्रो. संदीप वर्मा के मुताबिक, इस समझौते के तहत दोनों संस्थान के वैज्ञानिक, कर्मचारी और छात्रों की टीम मिलकर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर काम करेंगे. ग्लोबल इंगेजमेंट (सेंट्रल एंड साउथ एशिया) के डीन प्रो. मोयरा बोलैंड, प्रो. एंड्रयू टोबिन समेत अन्य टीम मौजूद रही.