गाजियाबाद की घंटाघर कोतवाली पुलिस ने शनिवार रात कोटद्वार से आने वाली नकली दवाओं की खेप के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया है. डीसीपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि सूचना के आधार पर रेलवे स्टेशन के पास मालगोदाम यात्री शेड से दवाएं बरामद की गई हैं. दवाई लेकर जा रहे चार लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान बुलंदशहर निवासी श्रीपाल, नोएडा निवासी मुकेश, दिल्ली के द्वारकापुरी निवासी शावेज और गाजियाबाद के पटेल नगर निवासी पुनीत के रूप में हुई है.
निपुण अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों के पास से एंटी बैक्टीरियल दवा ऑगमेंटिन के 20 डिब्बे और दर्द में प्रयोग होने वाले अल्ट्रासेट के 10 डिब्बे बरामद हुए हैं. इसके अलावा इनके पास से मैन्युफेक्चरिंग और एक्सपायरी डिटेल डालने वाली 26 मुहर समेत अन्य सामान भी मिला है. इस गिरोह के दो सदस्य शंकर राम और सरफराज अभी फरार हैं. इनके पूरे गिरोह की जानकारी की जा रही है.
लैब की रिपोर्ट का इंतजार
पुलिस के अनुसार दवाओं को पकड़ने के बाद प्राथमिक जांच करके हमने ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा को भी बुलाया था. आशुतोष मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मौके पर जाकर उन्होंने दवाओं को चेक किया तो फिजिकल जांच में वह नकली लग रही थी. उनके टैक्सचर के साथ अन्य स्थिति असली दवाओं जैसी नहीं थी. ये दवाएं किस-किस चीज से बनी हैं और इनके सेवन से क्या-क्या नुकसान हो सकता है, इसका पता लैब रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा.
मासूम जनता की जान डाल रहे खतरे में
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह कोटद्वार उत्तराखंड से चलाया जा रहा है. यहां सरफराज विभिन्न मेडिकल स्टोर से डील करता है और डिमांड तैयार कर उसके बारे में शावेज को बताता है. फिर पुनीत और श्रीपाल को जानकारी दी जाती है. श्रीपाल, शंकर राम को इस डिमांड की जानकारी देकर दवाएं मंगवाता है. डीसीपी ने आगे बताया कि ऑगमेंटिन का एक बॉक्स करीब 2 हजार रुपये का है. यह श्रीपाल को 400 रुपये में, शावेज को 430 रुपये में व सरफराज को 490 रुपये में मिलता है. दूसरी ओर दर्द वाली दवा अल्ट्रासेट का बॉक्स करीब 2400 रुपये का है.
यह दवाई श्रीपाल को 650 रुपये में, शावेज को 700 रुपये में और सरफराज को 830 रुपये में मिलती है. दवाई की सप्लाई रोडवेज बस से होती है, जिसे गाजियाबाद में पुनीत रिसीव करता है. इसके बाद यह मेडिकल स्टोर पर किस कीमत पर इन दवाओं को पहुंचा रहा है, इसके बारे में सरफराज की गिरफ्तारी के बाद ही पता चल सकेगा.
इन दो शहरों में सप्लाई की मिली जानकारी
पुलिस के अनुसार, गैंग से पूछताछ में सामने आया है कि दवाओं की सप्लाई गाजियाबाद और अलीगढ़ के कुछ मेडिकल स्टोर में हो रही थी. इसमें हिंडन विहार के भी दो मेडिकल स्टोर का पता चला है. पुलिस उसे वेरिफाई कर रही है. साथ ही इस प्रकार के अन्य गैंग के बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है. इस मामले में ड्रग्स विभाग की तरफ से भी जांच शुरू की गई है.
बिना बिल न लें दवा
ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने बताया कि इन नकली दवाओं की पैकिंग बिल्कुल असली की तरह होती है. आम व्यक्ति इसमें फर्क नहीं कर सकता है. उन्होंने बताया कि नकली दवाओं से बचने के लिए बिना बिल के कोई दवा न लें. इस प्रकार की दवाओं के बिल देने से मेडिकल स्टोर संचालक बचते हैं. जिले में अगर कोई मेडिकल स्टोर वाला दवा का बिल न दे और मांगने पर मना करे तो 9559401111 पर कॉल कर शिकायत करें, ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.
इस तरह करें असली नकली की पहचान
असली दवाइयों पर यूनीक कोड प्रिंट होता है. इस कोड में दवा की मेन्युफैक्चरिंग डेट और लोकेशन से लेकर सप्लाई चेन तक की पूरी जानकारी होती है. इस लिस्ट में एंटीबायोटिक, पेन रिलीफ पिल्स, एंटी एलर्जिक दवाइयां शामिल हैं. दवाई लेने के बाद उसके रैपर पर बने क्यूआर कोड को जरूर स्कैन करें. कुछ लोगों के मन में ये सवाल होता है कि जब दवाई नकली बनाई जा सकती है तो क्यूआर कोड भी तो नकली हो सकता है. पर ऐसा नहीं है.
दवाइयों पर बना क्यूआर कोड या यूनीक कोड एडवांस वर्जन वाला होता है. इसे सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी जारी करती है. हर दवा के साथ उसका यूनीक क्यूआर कोड भी चेंज होता है. इसलिए इसे कॉपी करना लगभग नामुमकिन है. 100 रुपये की ऊपर की सभी दवाओं पर बारकोड लगाना अनिवार्य होता है. ऐसे में बिना बारकोड वाली दवाई न खरीदें.
यह बैच हैं नकली
Batch No. 11980412 ED: 04/2024
Batch No. 12188747 ED:01/2025
Batch No. 12188749 ED:01/2025
Batch No. 12200242 ED:01/2025
Batch No. 12202389 ED:01/2025
Batch No. 12310404 ED:09/2025
Batch No. 512053 ED:11/2024