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Congenital Heart Disease: जन्मजात दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों का नि:शुल्क ऑपरेशन कराएगी UP सरकार, MOU साइन

Congenital Heart Disease: जन्मजात दिल की बीमारी से जूझने वाले बच्चों को लेकर योगी सरकार ने अहम फैसला किया है. प्रदेश सरकार ऐसे बच्चों का नि:शुल्क ऑपरेशन कराएगी. इसे लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर कर लिए गए हैं. इस नई पहल के साथ यह कार्यक्रम बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देने में सहायक होगा.

Lucknow: यूपी में जन्मजात दिल की बीमारी (Congenital Heart Disease) से ग्रसित बच्चों की निःशुल्क निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा. योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस संबंध में अहम फैसला किया है. इसे लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र द्वारा श्री सत्य सांई संजीवनी इन्टरनेशनल सेन्टर फार चाइल्ड केयर एण्ड रिसर्च पलवल के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इस एमओयू के हस्ताक्षर होने के बाद यूपी के हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाएगा.

प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि इस नई पहल के साथ स्वास्थ्य विभाग के कुशल प्रबंधन से यह कार्यक्रम बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देने में सहायक होगा. मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में जन्मजात बीमारियों से बाल मृत्यु दर को कम करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए गए हैं. इसी कड़ी में एमओयू पर साइन किए गए हैं.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) कार्यक्रम में जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य जांच शामिल है. स्वास्थ्य जांच में चार श्रेणियों में जन्मजात रोग, कमियां, बीमारियां, विकास में देरी में श्रेणीबद्ध रोगों की जांच, रोगों की शीघ्र पहचान, बीमार बच्चों का प्रबंधन, निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के साथ तृतीयक स्तर पर सर्जरी भी शामिल है. इन चार श्रेणियों में श्रेणीबद्ध रोगों को 4 डी के नाम से भी जाना जाता है.

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जन्म से लेकर छह वर्ष की आयु वर्ग के लिए प्रबंधन विशेषकर डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) पर किया जाता है, जबकि छह से अठारह वर्ष की आयु वर्ग के लिए स्थितियों का प्रबंधन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से किया जाता है. डीईआईसी दोनों आयु वर्ग के लिए रेफरल लिंक के रूप में भी कार्य करता है. हेल्थ टीम द्वारा जांच स्थलों पर स्वास्थ्य परीक्षण के बाद आवश्यक दवाइयां एवं स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जाते हैं. रोग ग्रसित बच्चों को आवश्यकतानुसार चिकित्सालयों में रेफर किया जाता है.

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