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बांके बिहारी मंदिर को मिलेगा आधुनिक स्वरूप, नगर निगम ने दी कॉरिडोर को हरी झंडी

Banke Bihari Mandir Corridor: मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के आसपास पाँच एकड़ में भव्य कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव पारित किया. श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु यह कदम उठाया गया है. विरोध के बीच महापौर ने सभी के हित सुरक्षित रखने और पुनर्वास सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया.

Banke Bihari Mandir Corridor: मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए वृंदावन स्थित सुप्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर करीब पाँच एकड़ क्षेत्र में एक विशाल और भव्य कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव पारित कर दिया. यह कदम राज्य सरकार की विकास योजनाओं और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है.

भारी हंगामे के बीच प्रस्ताव को मिली स्वीकृति

नगर निगम की बैठक में इस प्रस्ताव को लेकर तीखी बहस और विरोध देखने को मिला. जहां भाजपा और उसके सहयोगी पार्षदों ने इस प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया, वहीं विपक्षी दलों के पार्षदों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया.

बैठक की अध्यक्षता महापौर विनोद अग्रवाल ने की, जबकि नगर आयुक्त जगप्रवेश सहित सभी वार्डों के पार्षद उपस्थित थे. जैसे ही प्रस्ताव पेश किया गया, भाजपा पार्षदों ने ‘बांके बिहारी लाल की जय’ के नारे लगाकर समर्थन जताया.

महापौर का बयान: श्रद्धालुओं के हित में लिया गया निर्णय

महापौर विनोद अग्रवाल ने कहा कि ठाकुर बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से वृंदावन आते हैं. त्योहारों और विशेष अवसरों पर यहां अप्रत्याशित भीड़ उमड़ती है, जिससे व्यवस्थाएं चरमराने लगती हैं. ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और सुचारु दर्शन व्यवस्था हेतु कॉरिडोर का निर्माण समय की आवश्यकता बन चुका है.

विरोध के सुर: पारंपरिक स्वरूप और संस्कृति पर खतरे की आशंका

कांग्रेस पार्षद और बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र के प्रतिनिधि घनश्याम चौधरी ने प्रस्ताव का तीखा विरोध करते हुए कहा कि यह परियोजना वृंदावन की ऐतिहासिक कुंज गलियों, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक स्वरूप को नष्ट कर देगी. उन्होंने यह भी चिंता जताई कि इस योजना से सैकड़ों स्थानीय परिवार प्रभावित हो सकते हैं, जिनकी आजीविका और निवास दोनों संकट में आ सकते हैं.

सेवायतों की चिंता को किया गया खारिज, पुनर्वास का दिया गया भरोसा

महापौर ने सेवायत गोस्वामियों और स्थानीय निवासियों की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा किसी भी परिवार को बेघर नहीं किया जाएगा. सभी प्रभावितों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जाएगी.

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कॉरिडोर का निर्माण तभी किया जाएगा जब सेवायतों, स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों की सहमति मिल जाएगी. यह परियोजना गोस्वामी समाज की मांगों और सुझावों के आधार पर ही आगे बढ़ेगी.

सरकारी दृष्टिकोण: विकास और परंपरा में संतुलन

राज्य सरकार का उद्देश्य श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं देना है, साथ ही वृंदावन की सांस्कृतिक आत्मा को भी संरक्षित रखना है. उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार मंदिर परिसर और उसके आसपास की अव्यवस्थित भीड़ को नियंत्रित करना और दर्शन की प्रक्रिया को व्यवस्थित करना इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है.

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों से होगा संवाद

महापौर अग्रवाल ने कहा कि कॉरिडोर निर्माण की अंतिम रूपरेखा सभी पक्षों सेवायत, निवासी, व्यापारी और प्रशासन की बैठक के बाद ही तय की जाएगी. सभी के सुझावों को शामिल कर एक सर्वमान्य समाधान निकाला जाएगा जिससे न विकास रुके, न संस्कृति मिटे, और न ही किसी का अहित हो.

ठाकुर बांके बिहारी मंदिर वृंदावन की आस्था और संस्कृति का केंद्र है. इसके चारों ओर कॉरिडोर निर्माण की योजना निःसंदेह एक बड़ा कदम है, जो एक ओर श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाएगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के जीवन को भी प्रभावित करेगा. अब देखना यह होगा कि सरकार सभी पक्षों को विश्वास में लेकर इस योजना को कैसे क्रियान्वित करती है.

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