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सड़क हादसे के बाद ऑटो चालकों पर हुई कार्रवाई, बच्चों का कौन करेगा ख्याल, स्कूली वाहन ढो रहे 15 से 16 बच्चे

आगरा में मानक से ज्यादा सवारी बैठाने पर ऑटो चालकों पर कार्रवाई की जा रही है, इसके बाद भी स्कूलों के बाहर छुट्टी के समय वाहन बच्चों को ठूंस ठूंस कर बैठाकर ले जाते नजर आते हैं.

आगरा : विगत दिनों पहले हुए सड़क हादसे में 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. यातायात विभाग की नींद खुली और शहर भर में जहां भी ऑटो व अन्य व्यवसायिक वाहनों में मानक से ज्यादा सवारियां ले जाई जा रही थी. उन पर कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई. एक तरफ जहां मानक से ज्यादा सवारी बैठाने पर ऑटो चालकों पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं स्कूलों के बाहर छुट्टी के समय खड़े होने वाले वाहनों में बच्चों को ठूस ठूस कर ले जाया जा रहा है. अधिकतर स्कूलों के बाहर खड़े होने वाली वैन, ईको और कई सारे ऑटो में आपको छुट्टी के समय मानक से दुगने बच्चे बैठे हुए दिखाई दे जाएंगे= ये वाहन रोजाना आगरा के मुख्य चौराहे व मुख्य मार्ग से होकर गुजरते हैं. लेकिन यातायात पुलिस पर उनकी नजर नहीं जाती. परिवहन विभाग के अनुसार आगरा में सड़कों पर दौड़ने वाली वैन, इको में मानक के अनुसार 7 या 8 सवारी ही बैठाई जा सकती हैं. इसके अलावा तीन पहिया ऑटो में ड्राइवर समेत चार लोग बैठ सकते हैं. लेकिन आगरा के सैकड़ो स्कूलों के बच्चों को ले जाने वाले यह वाहन मानक को धता बताकर 15 से 16 बच्चों को बैठाकर स्कूल ले जाने और लाने का काम करते हैं.

स्कूली वाहन हर दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे

आलम यह हो जाता है कि वाहनों में एक के ऊपर एक बच्चे बैठे हुए होते हैं और गर्मी के समय में स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है. जब यह स्कूली वाहन जाम में फसते हैं तो बच्चे पसीने से तरबूतर हो जाते हैं. और गाड़ी में सफोकेशन की स्थिति भी पैदा हो जाती है. लेकिन इन छोटी-छोटी जिंदगियों की फिक्र ना तो उनके परिजनों को होती है और ना ही यातायात पुलिस को. जिले में कई बार स्कूली वाहन छोटी-मोटी दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं. ऐसे कई वाहन हैं जिनकी फिटनेस नहीं है. रजिस्ट्रेशन समाप्त हो चुका है और बीमा भी खत्म हो चुका है. लेकिन स्कूली बच्चों को लेकर सड़क पर सरपट दौड़ने वाले यह वाहन उनकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. भविष्य में इससे कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है.

पुलिस ने स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी तय की

एसीपी यातायात अरीब अहमद से इस बारे में जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि आम लोगों को बैठाने वाले व्यावसायिक वाहनों पर लगातार कार्रवाई चल रही है. मानक के विपरीत कोई भी वाहन सड़क पर नहीं दौड़ेगा. अगर स्कूल के बच्चों को ले जाने वाले वाहनों में मानक से ज्यादा बच्चे बैठाए जा रहे हैं. तो उन पर भी अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी है कि, वह बच्चों के अभिभावकों को समझाएं कि किसी भी वाहन में अपने बच्चों को बैठाने से पहले यह तय कर ले कि उस वाहन में कुल कितने बच्चे जाते हैं. अगर मानक से ज्यादा कोई भी वैन, ईको या ऑटो चालक बच्चों को बैठा रहा है तो आप ऐसा न होने दें. जिससे आपका बच्चा सुरक्षित रहेगा.

परिजनों की कई बार काउंसलिंग की गई

अप्सा (एसोसिएशन ऑफ प्रोगेसिव स्कूल्स ऑफ आगरा) के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने बताया कि परिजनों की कई बार काउंसलिंग की गई है. उन्हें समझाया गया है कि वह अपने बच्चों को जिन वाहनों में स्कूल भेजते हैं उन पर नजर रखें. कहीं वाहन चालक आपके बच्चे की जान से खिलवाड़ तो नहीं कर रहा. वाहन में मानक से ज्यादा बच्चे तो नहीं बैठाए जा रहे. लेकिन अभिभावक कम पैसों के लालच में अपने बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. इसके साथ ही पुलिस प्रशासन की भी जिम्मेदारी है कि जो वाहन मानक से ज्यादा बच्चों को लाने और ले जाने का काम कर रहे हैं उन पर कानूनन कड़ी कार्रवाई की जाए.

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