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बसपा निकाय चुनाव में पुराने और वफादरों को देगी टिकट, युवाओं पर भी जताएगी भरोसा, जानें कैसे होगा आवेदन…

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने नगर निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को सिंबल के साथ मैदान में उतारने का फैसला लिया है. बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के पुराने और वफादार लोगों को टिकट देने में प्राथमिकता की हिदायत दी है.

Bareilly News: सभी सियासी दल यूपी नगर निकाय चुनाव 2022 को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल मानकर तैयारी कर रहे हैं. इसी बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने नगर निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को सिंबल के साथ मैदान में उतारने का फैसला लिया है. बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के पुराने और वफादार लोगों को टिकट देने में प्राथमिकता की हिदायत दी है.

युवाओं को भी दिया जाएगा मौका

इसके बाद निकाय चुनाव में युवाओं को भी मौका दिया जाएगा. जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह ने बताया कि पार्टी ने आवेदन लेने शुरू कर दिए हैं. पार्टी हाईकमान ने पार्टी के पुराने और वफादार कार्यकर्ता और पदाधिकारियों को पहले प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद 50 फीसद युवाओं को भी टिकट दिए जाएंगे.

ऐसे करें बसपा में आवेदन

बसपा के बरेली जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह ने बताया कि, चुनाव लड़ने वाले दावेदार सादा कागज पर प्रार्थना पत्र लिखकर पार्टी के मंडलीय कार्यालय पा दे दें. इस पत्र के साथ पार्टी सदस्यता की रसीद की फोटो स्टेट भी लगा दें. दावेदारों के आवेदन को बसपा प्रमुख के पास भेजा जाएगा. पार्टी मुख्यालय से ही दावेदारों के टिकट पर अंतिम मुहर लगेगी.

बसपा ने बूथ स्तर तक का बनाया प्लान

निकाय चुनाव को लेकर बसपा ने बूथ स्तर पर बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. इसके साथ ही सदस्यता अभियान में भी तेजी आ गई है. जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह का कहना है कि बरेली की नगर निकायों से आवेदन आने शुरू हो गए हैं, लेकिन सामाजिक और जातिगत समीकरण देखकर प्रत्याशी तय किए जाएंगे. इसके साथ ही बूथ कमेटी की रिपोर्ट से भी प्रत्याशियों की सियासी हैसियत का आकलन किया जाएगा. इसके बाद टिकट फाइनल होगा.

इमरान मसूद के आने से बड़ी चर्चा

विधानसभा चुनाव में बसपा का काफी नुकसान हुआ था. बसपा की सिर्फ एक सीट बची थी, जबकि 2007 में बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. मगर, बसपा प्रमुख मायावती ने कुछ समय पहले ही इमरान मसूद को पार्टी में शामिल कराया था. वह मुस्लिमों के बीच बसपा का पैगाम लेकर जा रहे हैं. उनका दलित मुस्लिम गठबंधन पर जोर है.मगर, उनके आने के बाद बसपा की मुस्लिमों में भी चर्चा बढ़ी है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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