चालीस ऐसी कंपनियों के दस्तावेज भी मिले थे, जिनके नाम से यादव सिंह ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में प्लाट आंवटित कराकर करोडों रुपये कमाए थे. यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता के नाम पर भी कई कंपनियां होने की जानकारी आयकर अफसरों को मिली थी. यही नहीं यादव सिंह के एक मित्र की कार से दस करोड़ रुपए नगद भी आयकर अधिकारियों को मिले थे. एक दर्जन से अधिक लाकर भी यादव सिंह और उनकी पत्नी के नाम पर आयकर अधिकारियों को मिले. जिनकी तलाशी अभी ली जा रही है. यादव सिंह के एक लाकर से आयकर अफसरों को के हाथ लगी, जिसमें उसके द्वारा नेताओं और अफसरों की दी गई मंहगी गिफ्ट का ब्यौरा था.
सीएम के इस फैसले के बाद अब यादव सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के साथ ही सतर्कता जांच भी होगी. इस मामले में हुई सरकार की फजीहत को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने नोएडा प्राधिकरण में काम कर रहे उन सभी लोगों की लिस्ट मांगी है, जो भ्रष्टाचार करके सरकार की छवि खराब कर रहे हैं. अफसरों ने उनको ऐसे कई स्थानीय सपा नेताओं के भी नाम बताए, जो प्राधिकरण पर पार्टी की धौंस जमा रहे हैं. अब ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. दूसरी तरफ ईडी भी यादव सिंह की अरबों की संपत्ति का ब्यौरा जुटाने में लग गया है.

