Rourkela News: बंडामुंडा की बरकानी बस्ती में पिछले 70 दिनों से चल रहे ग्रामीणों के आंदोलन ने शनिवार को हिंसक रूप ले लिया. रेलवे की ओर से किये जा रहे समतलीकरण का काम रोकने के लिए सामने आये ग्रामीणों में से एक एतो एक्का (37) की जेसीबी की चपेट में आकर मौत हो गयी. इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने पत्थरों से हमला कर दिया. इस हमले में अतिरिक्त तहसीलदार पुरुषोत्तम नायक सहित आधा दर्जन पुलिस कर्मी तथा ग्रामीणों को मिलाकर कुल एक दर्जन लोग घायल हो गये. घायलों को इलाज के लिए राउरकेला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया.
वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे, 10 प्लाटून पुलिस बल तैनात
इधर, ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हिंसक झड़प की सूचना पर डीआइजी ब्रजेश राय, एसपी नीतेश वाधवानी और उपजिलापाल तत्काल मौके पर पहुंचे. प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीणों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे जिलापाल और आरएसपी के निदेशक प्रभारी के नहीं आने तक बातचीत से इनकार कर दिया. खबर लिखे जाने तक एतो के शव के साथ ग्रामीण आंदोलन जारी रखे हुए थे. वहीं उपिजलापाल और पुलिस बल भी मौके पर मौजूद थी. किसी तरह की सहमति नहीं बनने के कारण शव को उठाया नहीं जा सका है. ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े हैं. वहीं पुलिस की ओर से 10 प्लाटून फोर्स की तैनाती की गयी है, ताकि वहां किसी तरह की हिंसा नहीं हो.
ग्रामीणों को रोकने में विफल रही पुलिस
दरअसल डुमेरता और आसपास के अन्य इलाकों के निवासी रेलवे लिंक का विरोध करते हुए काम रोकने के लिए मौके पर पहुंच गये थे. उन्होंने जमीन को समतल करने के लिए इस्तेमाल की गयी जेसीबी मशीन को रोक दिया और पुलिसकर्मी उन्हें नियंत्रित करने में विफल रहे. भीड़ तुरंत मशीन के सामने आ गयी. मशीन को रोकने की ग्रामीण कोशिश करने लगे, लेकिन चालक वाहन को नियंत्रित नहीं कर सका. इसी दौरान एतो एक्का इसकी चपेट में आ गया.एतो एक्का की मौत के बाद हिंसक हो गयी भीड़
एतो एक्का की मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी और जल्द ही भीड़ में लोगों की संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी हो गयी. भीड़ ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया. हर तरफ से पत्थर बरस रहे थे. इस दौरान पुलिस ने जवाबी कार्रवाई नहीं की और न ही बल प्रयोग किया. भीड़ ने जेसीबी ऑपरेटर सैमुअल पासी को पकड़ लिया और कुछ समय तक उसपर हमला करते रहे, लेकिन वह किसी तरह भीड़ से निकल गया और पुलिस उसे बाद में बचाकर सुरक्षित स्थान पर ले गयी. इस घटना के दौरान राउरकेला स्टील प्लांट के तीन अधिकारी भी घायल हो गये. जिनका इलाज चल रहा है.अचानक शुरू हुई पत्थरों की बारिश
राउरकेला सरकारी अस्पताल पहुंचे घायल पुलिसकर्मियों ने बताया कि अचानक से चारों ओर से पत्थर बरसने लगे. इसके लिए हम बिल्कुल भी तैयार नहीं थे. किसी के पैर में, तो किसी की छाती और सिर पर पत्थरों से गंभीर चोटें आयी हैं. पुलिसकर्मियों ने कहा कि ग्रामीणों के पास पहले से पत्थर मौजूद थे.बरकानी होते हुए आरएसपी तक बनना है आठ किमी डेडिकेटेड रेल लिंक
बरकानी से होकर एक रेलवे लाइन राउरकेला स्टील प्लांट को जानी है. आठ किमी लंबे इस रेल लिंक के लिए आरएसपी ने रेलवे को 132 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जिसके बाद रेलवे यहां पर काम कर रही है. आरएसपी का कहना है कि जमीन उसकी है. पिछले डेढ़ महीने से काम का विरोध हो रहा था. यहां तक कि कुछ दिन पहले मौके पर आये एससी/एसटी आयोग के सदस्य ने भी अंतिम समाधान होने तक काम रोकने की सलाह दी थी. जमीन को लेकर आरएसपी और विस्थापितों का अपना-अपना दावा है.शुक्रवार को भी हुआ था विरोध
ग्रामीणों ने रेलवे के काम का शुक्रवार को भी विरोध किया था. ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह पर जेसीबी चलायी जा रही है, वह उनकी खेतिहर जमीन है. लिहाजा यहां पर काम नहीं किया जाये. इसे लेकर निर्माण कार्य प्रभावित रहा था और काम बंद करना पड़ा था. शनिवार को दोबारा काम शुरू होने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई.घायल पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी
1. सैमुअल मासी-जेसीबी ऑपरेटर2. रंजीत ओराम-कांस्टेबल3. राकेश रोशन महाराणा-एएसआइ4. सुधीर कुमार बरुआ-कांस्टेबल5. राजेंद्र कुमार साहु-एएसआइ6. सुमी बेहेरा- कांस्टेबल7. पुरुषोत्तम नायक-अतिरिक्त तहसीलदार-बिसराहालात काबू में हैं, मामले की जांच की जा रही : डीआइजी
पश्चिमांचल रेंज के डीआइजी ब्रजेश कुमार राय ने कहा कि आरएसपी के लिए एक समर्पित रेल लिंक का काम चल रहा था. इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध किया. जेसीबी के सामने ग्रामीण आ गये थे. जिसमें से एक की मौत हुई है. उसकी मौत की वजह क्या है, इसकी जांच चल रही है. पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. अभी हालात काबू में हैं. जहां तक ग्रामीणों की मांग की बात है, तो प्रशासनिक अधिकारी ही इस पर कुछ बोल पायेंगे. हम स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं. एक ग्रामीण डेमे ओराम ने कहा कि यहां पर फोर्स लगाकर काम किया जा रहा था. हमारा कहना था कि बारिश का समय आनेवाला है. हमारा खेती का काम प्रभावित होगा. हमें एडीएम से मिलने को कहा गया था. हमारा कहना था कि हम एडीएम से मिलेंगे, लेकिन काम रोका जाये. लेकिन काम नहीं रोका गया. शनिवार को हम एडीएम कार्यालय में अपनी बात रख रहे थे और एडीएम ने हमारी बात सुनी भी. लेकिन जैसे ही हम वहां से निकलने लगे, तो एडीएम ने बताया कि घटनास्थल पर हंगामा हुआ है. जिसके बाद हमें इसकी जानकारी हुई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है