Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), राउरकेला के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के नेतृत्व में डॉ एससी नायक वार्षिक लेक्चर सीरीज का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम प्राणकृष्ण परिजा सभागार में आयोजित हुआ, जिसका उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव ने किया. उन्होंने वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता, विशेष रूप से घटते हुए शुद्ध पेयजल संसाधनों की स्थिति में प्रदूषित जल के शोधन के लिए अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया.
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर शीर्षेन्दु डे ने साझा किये विचार
साल 2015 से प्रतिवर्ष आयोजित हो रही इस लेक्चर सीरीज के इस वर्ष के वक्ता देश के सर्वोच्च सम्मान शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर शीर्षेन्दु डे ने अपने दीर्घकालीन शोध अनुभव से यह साझा किया कि आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्वों से प्रदूषित जल के शोधन के लिए उनके द्वारा की गयी मौलिक और व्यावहारिक शोध समाजोपयोगी रही है. उन्होंने यह भी बताया कि केवल प्राकृतिक व सहज रूप से उपलब्ध संसाधनों और न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता वाली प्रक्रियाओं से प्रयोगशाला स्तर पर प्राप्त सफलता को कम समय में समाज के कल्याण में लागू किया जा सकता है. उनका भाषण न केवल उपस्थित शिक्षकों और छात्रों के लिए प्रेरणास्पद रहा, बल्कि उसने सामूहिक अध्ययन और बौद्धिक विमर्श की संस्कृति को भी समृद्ध किया.
150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने लिया हिस्सा
इस अवसर पर केमिकल विभाग की प्रमुख डॉ सुस्मिता मिश्रा तथा अन्य विभागाध्यक्षों के साथ 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. संस्थान स्तरीय इस लेक्चर सीरीज में हर वर्ष देश या विदेश से रासायनिक अभियांत्रिकी से जुड़े प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं को आमंत्रित किया जाता है. इसकी स्थापना से लेकर अब तक डॉ एससी नायक स्वयं इस लेक्चर सीरीज के पूर्ण संरक्षक रहे हैं. यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में इस लेक्चर सीरीज की शुरुआत पद्मश्री प्रोफेसर जीडी यादव के व्याख्यान से हुई थी. तब से लेकर अब तक यह लेक्चर सीरीज संस्थान की वार्षिक शैक्षणिक गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी है.
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