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कभी डाकुओं की शरणस्थली हुआ करता था सारंडा जंगल, अब क्या है स्थिति जानें…

Jharkhand news, Kiriburu news : एशिया के सबसे बड़े साल के जंगल के रूप में प्रसिद्ध सारंडा जंगल कभी डाकुओं की शरणास्थली हुआ करती थी. यहां का डाकुलता गुफा इसका उदाहरण माना जाता है. अब इस गुफा में भालू और चमगादड़ों का वास है.

Jharkhand news, Kiriburu news : किरीबुरू (शैलेश सिंह) : एशिया के सबसे बड़े साल के जंगल के रूप में प्रसिद्ध सारंडा जंगल कभी डाकुओं की शरणास्थली हुआ करती थी. यहां का डाकुलता गुफा इसका उदाहरण माना जाता है. अब इस गुफा में भालू और चमगादड़ों का वास है.

पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत मनोहरपुर प्रखंड के चिरिया एवं बिनुआ गांव से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है सारंडा जंगल का डाकूलता गुफा. इस गुफा में पहले डाकुओं का निवास था. वर्तमान में वृहद आकर के इस गुफा में भालू एवं चमगादड़ों का निवास स्थान हो गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर बने इस गुफा में डाकू पुलिस से छिपने के लिए दशकों पूर्व आते थे और कई दिनों तक इस गुफा में रहते थे. इस कारण इस गुफा का नाम डाकूलता गुफा पड़ा. पूर्व में लोग भी डाकुओं के डर से इस इलाके में नहीं आते थे.

इधर, ईको टूरिज्म यानी प्राकृतिक वातावरण से छेड़छाड़ किये बिना पर्यटन के विकास पर जोर दिया जा रहा है. पर्यटन की दृष्टिकोण से एशिया का सबसे बड़े साल वृक्षों का जंगल एवं 700 पहाड़ियों की घाटी के नाम से विख्यात सारंडा जंगल में बेहद आकर्षक एंव लुभावने कुछ ऐसे स्थान हैं जो बाहरी दुनिया से अनभिज्ञ अपनी खूबसूरती से पर्यटकों की थकान मिटा देने वाली अपनी अनुपम छंटा बिखेर रहे हैं.

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प्रकृति की अनुपम छंटा, दूर-दूर तक फैले जंगल, गहरी खाई, झरने और प्राकृतिक गुफा यहां की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. ऐसे ही एक स्थान है डाकूलता गुफा. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सारंडा पहले कभी डाकुओं की भी शरणास्थली हुआ करती थी. इसके सबूत सारंडा में आज भी देखने को मिलते हैं. जानकारों की मानें, तो सारंडा का डाकुलता गुफा उसी का उदाहरण है.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग

चिड़िया निवासी अमर सिंह सिंधु, मनोहर झा, सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम आदि स्थानीय लोगों की मानें, तो डाकुलता गुफा इतनी लंबी एवं ऊंची है कि इसमें हाथी तक घुस सकता है. सारंडा में ऐसी कई खूबसूरत दर्शनीय जगह है, जिसके बारे में लोगों को आज भी जानकारी नहीं है. अगर सरकार इन जगहों को चिह्नित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करें, तो बड़ी तादाद में पर्यटक इस प्राकृतिक खूबसूरती को देखने एवं अपने कैमरे तथा आंखों में कैद करने आयेंगे तथा इससे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि के द्वार खुलेगी और सारंडा के बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा.

सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि सभी उप परिसर पदाधिकारियों द्वारा उनके क्षेत्रों में पर्यटन की संभावित क्षेत्रों का विवरणों को संग्रहित किया जा रहा है एवं क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में विकसित करने के लिए सभी पहुलाओं को देखा जा रहा है. उस क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण से छेड़छाड़ किये बिना ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जायेगा. स्थानीय युवाओं को वन विभाग के द्वारा पर्यटन मित्र के रूप में प्रशिक्षित भी किया जायेगा, जिससे युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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