चक्रधरपुर.चक्रधरपुर नगर परिषद के गठन हुए सौ साल से अधिक हो गये, लेकिन अब तक शहरवासियों को मुकम्मल सुविधाएं नहीं मिली हैं. चक्रधरपुर की आबादी वर्तमान में सत्तर हजार से अधिक है. शहर में एनएच-75 को छोड़ शहर के अंदर एक भी अच्छी सड़क नहीं है. शहरी क्षेत्र में 23 वार्ड हैं. जिसमें छह वार्ड रेलवे क्षेत्र अंतर्गत स्थित हैं. शहर का विस्तार तेजी से हो रहा है. लेकिन शहरवासियों को सुविधा देने में नगर परिषद काफी पीछे है. यहां बस स्टैंड, ठोस कचरा प्रबंधन व अतिक्रमण की समस्या अहम है. इसके साथ शहर में सबसे खराब ड्रेनेज सिस्टम है. जिससे शहर के गंदे पानी को नाली के सहारे संजय नदी में बहाया जा रहा है. कुल मिलाकर चक्रधरपुरवासी समस्याओं के मकड़जाल में फंस गये हैं. लोग नप की ओर समस्याओं के समाधान को लेकर टकटकी लगाये हुए हैं.
बस पड़ाव के अभाव में चौक-चौराहों पर खड़े होते हैं वाहन
चक्रधरपुर नगर परिषद अंतर्गत बस पड़ाव नहीं है. यहां चौक-चौराहों पर बसें खड़ी होती हैं, जिससे जाम की समस्या हमेशा बनी रहती है. भारत भवन के बिजली विभाग कार्यालय के समीप कुछ वर्ष पूर्व नगर परिषद के ओर से लाखों रुपये खर्च कर बस पड़ाव बनाया गया, लेकिन बस पड़ाव में आज तक बसें नहीं रुकी हैं. चक्रधरपुर के पवन चौक, नगर परिषद के समीप, हनुमान चौक आदि स्थानों में बसों का ठहराव किया जाता है. जहां से पैसेंजरों काे चढ़ाने-उतारने का काम होता है. भारत भवन में अघोषित बस पड़ाव बनाया गया है. जहां शाम होते ही दर्जनों बसों के खड़ा कर दिया जाता है. लोगों की शिकायत पर नप हमेशा बस पड़ाव के लिये जमीन तलाशने की बात कह कर इस मामले से पल्ला झाड़ लेती है.
शहर में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं
चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र से रोजाना कई क्विंटल ठोस कचरा निकलता है. नगर परिषद द्वारा इन कचरों को ट्रॉली, ट्रैक्टर व टिपर के माध्यम से एकत्र कर शहरी क्षेत्र के कुदरीबाड़ी स्थित श्मशान घाट परिसर में खुले में छोड़ दिया जाता है. इसका कारण नगर परिषद के पास वर्तमान में ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है. ठोस कचरा प्रबंधन के लिये नगर परिषद वर्षों से जमीन तलाश रही है. शहर की साफ सफाई के लिये नगर परिषद प्रत्येक माह लगभग 15 लाख रुपये खर्च करती है. शहर की सड़कों की सफाई के लिये लगभग 35 लाख रुपये की लागत रोड स्वीपर मशीन वाहन की खरीदी की गयी है. लेकिन अब वह बेकार पड़ी हुई है. श्मशान घाट परिसर में दोबारा कचरे का ढेर लगना शुरू हो गया है. ऐतिहासिक रानी तालाब शहर का सबसे बड़ा कूड़ा दान बन गया है.
शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से गंदा पानी नदी में जा रहा
शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं बन पाया है. पुरानी व्यवस्था पर नगर परिषद कार्य कर रही है. जिससे बरसात के दिनों में शहरवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से कारण शहर के गंदे पानी को संजय नदी में बहाया जाता है. जिससे संजय नदी पूरी तरह दूषित हो रहा है. रानी तालाब की तरह संजय नदी के अस्तित्व को मिटाने की तैयारी चल रही है. तालाब व नदी के संरक्षण के लिये नगर परिषद कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है.
28 करोड़ खर्च के बावजूद शहरी जलापूर्ति योजना अधूरी
चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र में जल समस्या को दूर करने के लिये 49 करोड़ रूपये की शहरी जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारा गया. लेकिन 28 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद आज तक अधूरी पड़ी हुई है. शहर में दो जलमीनार, वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया. 50 किमी से अधिक पाइप बिछाया गया, लेकिन सात साल पूर्व शुरू हुई योजना आज भी अधूरा है. वहीं, 30 साल पूर्व शहर में बिछाये गये पाइप से शहर के लगभग पांच घरों में पानी पहुंचाया जा रहा है. वर्तमान में जिस जल मीनार से शहर में पानी सप्लाई की जा रही है. उसकी स्थिति काफी खराब है. वह पूरी तरह जर्जर अवस्था में है. कभी भी ध्वस्त हो सकती है.
चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र में जर्जर सड़कों का जाल
चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र में रेलवे क्षेत्र के छह वार्ड को छोड़ बाकी 17 वार्ड में एक भी अच्छी सड़क नहीं है. शहर के चारों ओर जर्जर सड़क का जाल बिछा हुआ है. चांदमारी जाने वाले मार्ग, कपड़ापट्टी, बाटा रोड, ब्लॉक कॉलोनी रोड, दंदासाई वार्ड संख्या पांच जाने वाली सड़क, बाटा रोड, पुरानी बस्ती रोड, राजबाड़ी रोड, भारत भवन रोड, रिटायर्ड कॉलोनी, चिरंजीवी ब्लॉक, वार्ड संख्या तीन समेत शहर के लगभग वार्ड में अच्छी सड़क नहीं है, सभी वार्ड की सड़कें पूरी तरह जर्जर हैं.
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